उर छलनी कांटों से मेरा तेरे पग पर फूल चढ़े थे निपट अकेला वीराने में सोचा भगवन साथ खड़े थे । टूट टूट बिखरा हर सपना तूने छीन लिया हर अपना । बन अर्जुन गीता ज्ञ.
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