किस तरह वो सूरत मेरे दिल को सुहाती है । देखू उसे तो सुबह की शाम हो जाति है ।। जब होती है मुलाकात कभी उनसे हमारी । हुस्न-ए-खुदा को देख रुह घायल हो जाती है ।.
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