माहिर-ए-नफ़्स भी बीमार हुआ करते हैं। हंसने वालों को भी आज़ार हुआ करते हैं। ज़्यादा हस्सास व ख़ामोश तबीयत वाले, रोज़ इक दर्द से दो चार हुआ करते हैं। ©Aliem U.
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