मंजिल की राहों में सफर कर रहे है कभी इधर तो कभी उधर भटक रहे हैं, संघर्ष जारी है खुद पर विजय पाने की कि- सी के बहाने तो किसी के ताने सुन रहे हैं! डीयर आर एस आज़.
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