अब वो हमारी महफ़िलों में, न जाने क्यों शामिल नहीं होती......... हम अधूरे और वो भी अधूरी, तो फ़िर क्यों कामिल नहीं होती......... ©Poet Maddy अब वो हमारी महफ़िलों म.
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