रोज़ लिखत-मिटाते हैं हम दास्तान मोहब्बत की, इतनी अच्छी नहीं होती लत मेरी जान मोहब्बत की........ गर किसी के नाराज़ होने से तुम्हें भी फर्क पड़ता है, बस यही तो होती.
1 Stories
10 Love
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here