जब से हमारा महबूब, हमसे खफ़ा सा हुआ है.......... उस दिन से शरारतों में, हमारी इज़ाफ़ा हुआ है............ जब हमने शुरू किया, महबूब पर ग़ज़ल लिखना........ तब से मोहब्ब.
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