अपना निवाला छोड़कर किसी और का निवाला बचाने वाले सफ
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 अपना निवाला छोड़कर किसी और का निवाला बचाने वाले सफेद कोर्ट में वो  सबको भगवान नजर आते हैं।पर सबको नहीं... 
लिखने वालों ने लिख दिया रिसता खून, सूजे होठ,घायल शरीर।
देखने वालों ने देख लिया दाएं हाथ की टूटी अनामिका, बचाव में घायल एड़ी,या फिर बेबसी की लाचारी उस रोती मृत आंखों में।।
कुछ समय तक न्याय प्रणाली भी गोते लगा लेगी दुष्कर्म हत्या के इर्द गिर्द,अगर मिल गई सही रस्सी तो फंदा बना देगी। पर जब मिलेगा संजय को फंदा तो एक मिनट काफी होगा उसे  जिंदा से मृत बनने में। 
वक्त का दर्द तो उस डॉ साहिबा को पता होगा जो  चालीस मिनट जिन्दगी और मौत से परे दरिंदे के घेरे में कैद थी। बचाव करने के बाद भी उसकी हार,वो बेबसी उसकी पथराई आंखों से निकले आंसुओं में दिखाई दे रही।।
मरणोत्तर विवरण ( post murtem) में उल्लेखित हैं सुबंया की स्वतंत्रता का संघर्ष,उसका नतीजा ।
कभी नाबालिक तो कभी बालिक दरिंदगी में भेंट नारी ही होती है 
ना जाने अभी और कितनो के हिस्से में ये  दरिंद संघर्ष होगा ।।
पर कब तक ?...

©Meantime Morjana

justice ♎ hindi poetry on life

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