"मुखौटा " अरमानों की इस भीड़ में अब तो कोहरा छाया है कोन झूठा ,कोन सच्चा जान कैसे पाएंगे जब हर दूसरे चेहरे ने पहना अच्छाई का मुखौटा है.
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