कहूँ कब मैं तुझे मोहन, सदा सावन घटा दे तू ? सुदर्शन चक्र से पथ के, सभी काँटे हटा दे तू ? जिसे चाहे उसे दे तू, परमपद इस जमाने में- मुझे तो बस जरा हँसकर, दही माखन.
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