रोज़ लिखते हैं मिटाते हैं, हम दास्तान मोहब्बत की......... बुरी होती है इस जहां में, लत मेरी जान मोहब्बत की....... इक दौर था जब होती थी, मोहब्बत से पहचान हमारी.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here