जिंदगी चार दिन की मगर हम अंजान थे,

ऐसे लोगों पर म
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जिंदगी चार दिन की मगर हम अंजान थे, ऐसे लोगों पर मर मिटे जो बेजान थे, रखते रहे थे पर्दा हम उसकी बेवफाई का, पर वही कातिल निकला जिसपर हम मेहरबान थे। ©Khan Sahab

#पर_वही_कातिल_निकला  जिंदगी चार दिन की मगर हम अंजान थे,

ऐसे लोगों पर मर मिटे जो बेजान थे,

रखते रहे थे पर्दा हम उसकी बेवफाई का,

पर वही कातिल निकला जिसपर हम 
मेहरबान थे।

©Khan Sahab

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