इश्क ये आशियाने में किसी की आरजू बन बैठी हु नही है इश्क मुझे जिस से उसके दिल का सुकून बन बैठी हु कैसे समझाऊं उसे न रखे दिल ये आरजू इश्क मुझ से मैं किसी और की जि.
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