मयख़ाने में मैं मय सानी ढूँढता हूँ। फूल बग़ीचे में फूलदानी ढूँढता हूँ। वो ढूँढता है,मुझमें कमियाँ कई, मैं उसमे अपनी जिंदगानी ढूँढता हूँ। कवि मुकेश गोग.
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