मसौदा बना दिया इश्क़ से रिहाई का सनम, अब मुक्कमल कर बेख़ौफ़ ज़माना अपना। निगाहों से कर फ़तह आसमाँ,पैरो से ज़मीं। उड़ानभर लहरों पर बना ठिकाना अपना।।.
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