खुद में उलझे हैं हम ऐसे, रिश्तों में घटा-जोड बहुत है। दिखते हैं लोग सामने अच्छे, पीछे गठजोड़ बहुत है। मिलता हूं मैं, सबसे बेमतलब, सब में मतलब की हौड बहुत है।.
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