आज तक है उसके लौट आने की उम्मीद, आज तक ठहरी है ज़िंदगी अपनी जगह, लाख ये चाहा कि उसे भूल जाये पर, हौंसले अपनी जगह बेबसी अपनी जगह । #मुस्तकीम रफी #Rafi.
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