بھیگی پلکیں बहते हुए आंसुओं में जरा कमी आ जाए,
आज तू इतना रुला दे कि हंसी आ जाए।
जिसको जैसे की है दरकार उसे वैसा मिले,
तू मुझे मिले और दिल को सुकूँ आ जाए।
यूँ साहिल पे बैठ कर आंसू न बहाया करो,
क्या मालूम समंदर में सुनामी आ जाए।
मैं इक लम्हे में सदियों की जिंदगी जी लूँ,
मेरा यकीं जो मेरे गुमान में कभी आ जाए।
कल रात से बिछड़ने के ख्वाब देख लिए,
ऐसा हो कि सुबह ख्वाब पे यकीं आ जाए।
जरा सलीके से पेश आ कि तेरे होते हुए,
कहीं ये न हो कि दिल में कोई और आ जाए।
©Dr Navneet Sharma
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