लड़की कोई खिलौना नहीं होती
जब मन चाहे तब खेल दिया और
जब मन चाहे तब फेक दिया,
तुम्हें कोई भी आधिकार नहीं है,
किसी के भावनाओं से खेलने का,
इज़्ज़त और समान करो हर लड़की की,
तुम्हारी बहन हो या किसी और की बहन हो,
समाज में घूमती हूं ही हर लड़की
तुम्हारी हाथ की कठपुतली नहीं होती है,
अजीब दुनिया है यह जो दूसरों की
बहन या बेटी के साथ खेलते हो,
अपनी बहन या बेटी के बारे में सोचा करो,
किसी लड़की को चुने से पहले यह सोचा करो की
तुमने भी किसी माँ की कोख से जन्म लिए है,
चुना है तो अपने माँ बाप के पैर चुना,
आखिर यह सोचो की
लड़की कोई खिलौना नहीं होती !
©Srushti Rokade
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