Faces cannot tell the truth because फनकार भी क्या जाने.. जो फनकारी ये रखते हैं..
रंगों के भी क्या रंग होंगे.. जैसे ये रंग बदलते हैं,
दुःख सारे दफ्न हैं सीने में.. सुख की नुमाइश करते हैं..
ख़ुदा भी शर्मिंदा हो जाये.. कुछ ऐसे ये नुमाइंदे हैं,
असली की इनको कुछ भी समझ नहीं ये जो..
समझ से समझ की सियासत करते रहते हैं...
सच - झूठ के मुखौटों के पीछे..ये ..
महज़ अय्यारी की सिफारिश करते हैं।
©Sonam Verma
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