तन्हा_लफ्ज नया नाम हमारा।
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पैरों से जमीं, रौंदत्ता है और आसमां.... सर पर...उठा रखा है....!! बेटे की पढ़ाई.. और बेटी की....शादी, बाप.. पूरे घर की जिम्मेदारियों को... अपने.. सर पर.. उठा रखा है..!! वो जो ऊंचा दिख रहा है ना..जिस शख्स का.. सर तुम्हें उसके नीचे भी देख लो.... किसी ने उसे... कंधों पर.. उठा रखा है..!!

 पैरों से जमीं, रौंदत्ता है और आसमां....
 सर पर...उठा रखा है....!!

बेटे की पढ़ाई.. और बेटी की....शादी,
बाप.. पूरे घर की जिम्मेदारियों को... अपने.. 
सर पर.. उठा रखा है..!!

वो जो ऊंचा दिख रहा है ना..जिस शख्स का.. सर तुम्हें
 उसके नीचे भी देख लो....
 किसी ने उसे... कंधों पर.. उठा रखा है..!!

पैरों से जमीं, रौंदत्ता है और आसमां.... सर पर...उठा रखा है....!! बेटे की पढ़ाई.. और बेटी की....शादी, बाप.. पूरे घर की जिम्मेदारियों को... अपने.. सर पर.. उठा रखा है..!! वो जो ऊंचा दिख रहा है ना..जिस शख्स का.. सर तुम्हें उसके नीचे भी देख लो.... किसी ने उसे... कंधों पर.. उठा रखा है..!!

5 Love

आग लगी है, मेरी बस्ती में...तो बुझाने, वह क्यों जाएगा..?? उस मोहल्ले में... कही उसका मकान... थोड़ी है..!! वह हार मांगता है, मेरी...रोज मंदिरों में जाकर.. समझाओ उसे कोई.. मंदिरो में... बसे भगवान थोड़ी है..!! मैं भी मां के पैर दबा कर... जीत मांग लेता हूं अपनी... मेरी मां भी भगवान है.... मेरे लिए... इंसान थोड़ी है...!! और यह दोस्ती है ना... बुरे वक्त में भी... साथ रहना पड़ता है साहब... जब तीखी लगी जिंदगी... बस तभी याद करो...यह मीठा पकवान थोड़ी है...!! और वह शख्स ...जिसने पीठ पीछे... खंजर से वार किया है, आज... वह भी जिगरी दोस्त.... है मेरा... शैतान थोड़ी है...!!

 आग लगी है, मेरी बस्ती में...तो बुझाने, वह क्यों जाएगा..??
उस मोहल्ले में... कही उसका मकान... थोड़ी है..!!

वह हार मांगता है, मेरी...रोज मंदिरों में जाकर..
 समझाओ उसे कोई.. मंदिरो में... बसे भगवान थोड़ी है..!!

मैं भी मां के पैर दबा कर... जीत मांग लेता हूं अपनी...
मेरी मां भी भगवान है.... मेरे लिए... इंसान थोड़ी है...!!

और यह दोस्ती है ना... बुरे वक्त में भी... साथ रहना पड़ता है साहब...
जब तीखी लगी जिंदगी... बस तभी याद करो...यह मीठा पकवान थोड़ी है...!!

और वह शख्स ...जिसने पीठ पीछे... खंजर से वार किया है, आज...
वह भी जिगरी दोस्त.... है मेरा... शैतान थोड़ी है...!!

वह हार मांगता है मेरी.... रोज मंदिरों में जाकर... मैं पैर दबाता हूं... मां के.. रोज़ थका-हारा आकर..!!

3 Love

कितने नफरत है मुझे , उससे... बताऊं क्या...!! कितना तड़पता है यह दिल... उसके ना होने के एहसास में जताऊं क्या...!! गम , दर्द और जख्म... कितने दबे हैं... मुस्कुराहट की कब्र में.... दिखाऊं क्या....!! सीख ली है हमने भी.... उससे थोड़ी सी.... इश्क मे बेवफाई......!! अगर कहो आप... तो आपको भी.. सिखाऊं क्या...!!

 कितने नफरत है मुझे , उससे... बताऊं क्या...!!
कितना तड़पता है यह दिल... 
उसके ना होने के एहसास में जताऊं क्या...!!

गम , दर्द और जख्म... कितने दबे हैं...
 मुस्कुराहट की कब्र में.... दिखाऊं क्या....!!

सीख ली है हमने भी.... उससे 
थोड़ी सी.... इश्क मे बेवफाई......!!
अगर कहो आप... तो आपको भी.. सिखाऊं क्या...!!

कितने नफरत है मुझे , उससे... बताऊं क्या...!! कितना तड़पता है यह दिल... उसके ना होने के एहसास में जताऊं क्या...!! गम , दर्द और जख्म... कितने दबे हैं... मुस्कुराहट की कब्र में.... दिखाऊं क्या....!! सीख ली है हमने भी.... उससे थोड़ी सी.... इश्क मे बेवफाई......!! अगर कहो आप... तो आपको भी.. सिखाऊं क्या...!!

6 Love

अंधेरा है... तो है...रहने दो.....!! उस बेवफा की बस्ती में...!! तुम अपना दिल जलाकर..उसकी बस्ती.... रोशन मत करना...!! लाख गम है... तो है.... रहने दो...!! दिल में दबा लो..." तन्हा "..!! बंद कमरे में.... जी भर के रो लो...लेकिन, मुस्कुराते रहना.... महफिलों में ..... अपनी आंखें... नम मत करना...!! बस तुम्हारे लिए , हमने जमाने भर से ...दुश्मनी कर ली...!! अब तुम... मेरी गली में... आना-जाना..कम मत करना...!!

 अंधेरा है... तो है...रहने दो.....!!
उस बेवफा की बस्ती में...!!
तुम अपना दिल जलाकर..उसकी बस्ती....
 रोशन मत करना...!!

लाख गम है... तो है.... रहने दो...!!
दिल में दबा लो..." तन्हा "..!!
बंद कमरे में.... जी भर के रो लो...लेकिन,
मुस्कुराते रहना.... महफिलों में .....
अपनी आंखें... नम मत करना...!!

बस तुम्हारे लिए , हमने जमाने भर से ...दुश्मनी कर ली...!!
अब तुम... मेरी गली में... आना-जाना..कम मत करना...!!

बस तुम्हारे लिए , हमने जमाने भर से ...दुश्मनी कर ली...!! अब तुम... मेरी गली में... आना-जाना..कम मत करना...!!

5 Love

कितना उलझ गया हूं जिंदगी.... तुझे सुलझाने की.... कोशिश में.......!! कि आज, तेरा यह दिया दर्द... मुझे बहुत सता रहा है..!! संघर्ष और मंजिलों के बीच, कितनी दूरी होती है... आज यह वक्त मेरा... मुझे बता रहा है...!! मुझे बार-बार घर बुलाने....की मां.. हठ कर रही है...!! और मैं, चाह कर भी... घर नहीं जा पाया.... मां.. घर पर... इस बार फिर से... छठ कर रही है...!!

#छठ  कितना उलझ गया हूं जिंदगी.... तुझे सुलझाने की.... कोशिश में.......!!
कि आज, तेरा यह दिया दर्द... मुझे बहुत सता रहा है..!!
संघर्ष और मंजिलों के बीच, कितनी दूरी होती है...
 आज यह  वक्त मेरा... मुझे बता रहा है...!!
मुझे बार-बार घर बुलाने....की मां.. हठ कर रही है...!!
और मैं, चाह कर भी... घर नहीं जा पाया....
मां.. घर पर... इस बार फिर से... छठ कर रही है...!!

#छठ

7 Love

टूटे हो इश्क में...आओ, बैठो... मेरी कुछ बातें... सुनो ना....!! सिगरेट ,दारू और हाथों की नसें काटना.... यह पुरानी बातें हैं...!! अब तुम, मंजिले अपनी...कुछ और चुनो ना... लौट गई..तो जाने दो..अब कुछ ऐसा करो ना.. जो ख्वाब बन गई तेरे लिए.. अब ख्वाब उसका तुम बनो ना...!! इश्क अधूरा रहा...कह दो... वह अब अंजाम देखेगी... तुम्हें मंजिल मिलेगी... और दुनिया इंतकाम देखेगी....

 टूटे हो इश्क में...आओ, बैठो...
 मेरी कुछ बातें... सुनो ना....!!
सिगरेट ,दारू और हाथों की नसें काटना.... 
यह पुरानी बातें हैं...!!
अब तुम, मंजिले अपनी...कुछ और चुनो ना...
लौट गई..तो जाने दो..अब कुछ ऐसा करो ना..
जो ख्वाब बन गई तेरे लिए..
अब ख्वाब उसका तुम बनो ना...!!
इश्क अधूरा रहा...कह दो... वह अब अंजाम देखेगी...
तुम्हें मंजिल मिलेगी... और दुनिया इंतकाम देखेगी....

ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इंतकाम देखेगी

7 Love

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