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चाहतों के परिंदे गुफा को चीर के रुख की तालीम लेते है जानती हू तुमने कभी मुझे ढूँढा ही नहीं ©चाँदनी

#Hope  चाहतों के परिंदे

गुफा को चीर के रुख की तालीम

लेते है

जानती हू तुमने कभी मुझे ढूँढा

 ही नहीं

©चाँदनी

#Hope

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#शायरी #सफर  शून्य से शुरू सफर,
मौत के बाद फिर सिफर।

©Diwan G

#सफर

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साहेब लोग झूठ कहते है कि मरद के मरने के उपरांत औरत बेवा कहलाती है मैंने देखा है साहेब मरद के द्वारा उपजाऐ धर्म और अधर्म के सुहाग को उम्र भर कलंकित माथे पर भरती है ©chandni

 साहेब लोग झूठ कहते है कि मरद
के मरने के उपरांत औरत
बेवा कहलाती है

मैंने देखा है साहेब
मरद के द्वारा
उपजाऐ
धर्म और अधर्म
के सुहाग को
उम्र भर कलंकित माथे
पर भरती है

©chandni

साहेब लोग झूठ कहते है कि मरद के मरने के उपरांत औरत बेवा कहलाती है मैंने देखा है साहेब मरद के द्वारा उपजाऐ धर्म और अधर्म के सुहाग को उम्र भर कलंकित माथे पर भरती है ©chandni

28 Love

 ये दुख ये दर्द ये सब तेरे अन्दर हैं,
तु अपने बनाए इस पिजड़े से बाहर
 निकल के तो देख
तु अपने आप में ही एक सिकन्दर है।

©Ritik

ये दुख ये दर्द ये सब तेरे अन्दर हैं, तु अपने बनाए इस पिजड़े से बाहर निकल के तो देख तु अपने आप में ही एक सिकन्दर है। ©Ritik

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पूर्ण विराम होने से पहले एक और विराम दे दे ऐ खुदा ज्यादा कुछ नहीं माँगती रिश्तों में फासला दे दे एक अकेली रात आँखों मे यू लिए फिरती हू ख्वाबों का सिलसिला जारी है फिर भी खामोशी से गले मिलती हू सवाल जबाब बहुत हुआ, रुख से पर्दा खोलती हू नाकाब मे जिए रिश्तों को अब बेनकाब करती हू!! ©chandni

 पूर्ण विराम होने से पहले एक और विराम दे दे
ऐ खुदा ज्यादा कुछ नहीं माँगती
रिश्तों में फासला दे दे 

एक अकेली रात आँखों मे यू लिए फिरती हू 
ख्वाबों का सिलसिला जारी है 
फिर भी खामोशी से गले 
मिलती हू 

सवाल जबाब बहुत हुआ, रुख से पर्दा खोलती हू 
नाकाब मे जिए रिश्तों को अब बेनकाब 
करती हू!!

©chandni

पूर्ण विराम होने से पहले एक और विराम दे दे ऐ खुदा ज्यादा कुछ नहीं माँगती रिश्तों में फासला दे दे एक अकेली रात आँखों मे यू लिए फिरती हू ख्वाबों का सिलसिला जारी है फिर भी खामोशी से गले मिलती हू सवाल जबाब बहुत हुआ, रुख से पर्दा खोलती हू नाकाब मे जिए रिश्तों को अब बेनकाब करती हू!! ©chandni

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आया था वो ख़्वाबों मे मिलने जो जग को चलाता है रो दिया मुझे देखकर क्या तूने अपनी हालत बनाया है हवाओ सी चंचल, प्राकृतिक से था तुझे प्रेम, अब क्या हुआ जो तूने कर लिया खुद को एक ज़ंजीर मे कैद ©chandni

 आया था वो ख़्वाबों मे मिलने
जो जग को चलाता है
रो दिया मुझे देखकर
क्या तूने अपनी हालत
 बनाया है

हवाओ सी चंचल, प्राकृतिक
से था तुझे प्रेम, अब क्या
हुआ जो तूने कर लिया 
खुद को एक ज़ंजीर
मे कैद

©chandni

आया था वो ख़्वाबों मे मिलने जो जग को चलाता है रो दिया मुझे देखकर क्या तूने अपनी हालत बनाया है हवाओ सी चंचल, प्राकृतिक से था तुझे प्रेम, अब क्या हुआ जो तूने कर लिया खुद को एक ज़ंजीर मे कैद ©chandni

20 Love

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