Dream जरा खुल के इनको जीने दो, ,जरा पंख फैला कर उड़ने दो,
ये आने वाला कल जो हैं,जरा इनको मन की करने दो
खेल खेल में सिखने दो,जरा हो हल्ला इन्हें करने दो
असमा से भी परे अगर,जीव हमको खोजना हैं
ज़िन्दगी को पहले जरा,इस धरा में जीने दो
असमा में उड़ ने दो,जरा पंख इनके खुलने दो
रात के अंधेरे में,खुले गंगन के तले में
तारों के संग जरा पकड़म पकड़ाई करने दो
चांद से कहो जरा,राज़ बनकर ना रहें
राह ज्ञान की खोल कर
खुद में जरा उतरने दो
जरा.........
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