"निर्जला एकादशी'
यह पवित्र निर्जला एकादशी
प्रभु श्री हरि के हृदय है,बसी
इसे कर भीमसेन ने पाई,खुशी
कहते,इसे भीमसेनी एकादशी
इसदिन जो करते,व्रत-उपवास
वो पाता फल,पूरे वर्ष एकादशी
आज निर्जल रहकर,करे भक्ति
उसे मिलती,सब पापों से मुक्ति
गर्मीनाशक खाद्यपदार्थ करे,दान
चारा,दाना-पानी खिलाये,बेजुबान
वो पवित्र कर्म बराबर है,एकादशी
करो यह एकादशी,मिलेगी खुशी
आज शीतल जल से भर मटकी
उस पर बांध लाल कपड़ा जल्दी
रखकर ऊपर आम,तरबूज मटकी
चढ़ाता श्री हरि लेकर नाम लक्ष्मी
वो तो जाता है,अंत में वैकुंठ सच्ची
वैकुंठ तो परमानन्द जगह असली
नमन तुझको,मोक्षदायिनी एकादशी
तू निर्जला एकादशी पापनाशक भली
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"
©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
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