सहेज के रखा है कुछ ख़्वाबों और कुछ उपलब्धियों को अलमारी के एक कोने में। कैद सी महसूस होती होगी न उन्हें!?
मगर कोई और विकल्प नहीं होता कुछ लोगों के पास!
कुछ ख़्वाब हासिल कुछ लाहासिल हैं। और इन सबके साथ सहेजे हैं कुछ राज़ मैंने। हर वक़्त हर पल कुछ न कुछ जाहिर किया जाए ये जरूरी तो नहीं। कुछ चीजें, कुछ बातें, कुछ ख़्वाब, कुछ ख्याल, सिर्फ जीने के लिए होते हैं। जिन्हें बांटा नहीं जा सकता!! चाहकर भी नहीं!
या शायद आज बांटा नहीं जा सकता।
हाँ! क्योंकि कुछ बातें साझा होने के लिए वक़्त मांगती हैं। ये भी मांग रही
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