लोरी गोदी में लेकर वो हंसना हंसाना, चुटकी बजाकर वो मुझको खेलाना
नजर ना लगे, काला टीका लगाना, आंचल तले मेरी दुनिया बसाना
चलते हुए मेरा डगमगाना, उंगली पकड़कर के चलना सिखाना
छिपा तेरी हंसी में खुशियों का खजाना, तेरी मुस्कुराहट का मैं हूं दीवाना
ना खाकर तेरा मुझको रोटी खिलाना, छीन के खुशियां मेरे पास लाना
मैं रूठू तो तेरा वो झट से मनाना, कागज की कश्ती का जल में बहाना
डराता था तुझको ये सारा जमाना, पर सीखा था तूने मुझको बचाना
पलकों तले मेरी निंदिया ले आना, बड़ा ही मधुर तेरा लोरी सुनाना
हे रब मेरी मां को मुझसे ना चुराना, गम दो अगर तो मुझे ही जलाना
मेरी मां को तू अब तनिक ना सताना, वही है मेरी खुशियों का बहाना
है ख्वाहिश यही रब, तू मां को बताना, कभी ख़त्म न हो मेरी मां का फसाना
बीते है अरसे बीता वह पल है, तेरे बिना मां, मेरा जीवन विफल है
बचपन की यादें रुलाती है मुझको, वो यादें बहुत मां सताती है मुझको
वो चंदा वो कश्ती वो अाँचल का पल्लू , आज भी सब कुछ बताती है मुझको
बुलाती थी बचपन में निंदिया को जिससे ,वो लोरी बहुत माँ याद आती है मुझको
गाते हुए मां तेरा मुस्कुराना, भूला नहीं मैं तेरा लोरी गाना
फिर से तू मेरा बचपन बुला न, जरा आज फिर तू वो लोरी सुना न
©✍️verma priya
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