गर छूना है गगन तुझे तो आगे कदम बढ़ाना होगा
जो भी विपदा सामने आये उससे हंस टकराना होगा
जीवन का अंधियारे तेरे कोसने से कभी दूर न होगा
अपने हिस्से का दीपक तो तुमको स्वयं जलाना होगा
गर छूना है गगन तुझे तो आगे कदम बढ़ाना होगा
जो भी विपदा सामने आये उससे हंस टकराना होगा
जीवन का अंधियारे तेरे कोसने से कभी दूर न होगा
अपने हिस्से का दीपक तो तुमको स्वयं जलाना होगा
ऋषभ तोमर
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बादल भी गरजते हें बरसात भी होते हें
ऑखें भी तरसती हें जब तू नहीं आती
दिल कैसे स॔भालू मैं काबु में नही आती
तुम चैन से सोती हो हम रात भर रोते हें
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