Fear
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तरतीब वो तरतीब भरा जीवन देख कर काँप जाता हूं, बिना पलक झपकाए, शोणित आंखों से उसे बस तकता रहता हूँ। डर लगता है कि कहीं पलक झपकाने पर मचे कंपन से ये दुर्बल ढाँचे सा अनुक्रमिक जीवन खिंड न जाए। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola

 तरतीब

वो तरतीब भरा जीवन देख कर 
काँप जाता हूं,
बिना पलक झपकाए,
शोणित आंखों से उसे बस तकता रहता हूँ। 
डर लगता है कि कहीं 
पलक झपकाने पर मचे कंपन से 
ये दुर्बल ढाँचे सा 
अनुक्रमिक जीवन खिंड न जाए।

©Abhishek 'रैबारि' Gairola

तरतीब वो तरतीब भरा जीवन देख कर काँप जाता हूं, बिना पलक झपकाए, शोणित आंखों से उसे बस तकता रहता हूँ। डर लगता है कि कहीं पलक झपकाने पर मचे कंपन से

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 खौफ है बस इधर , इंसानियत किधर गुमशुदा है।
कहते हैं कुछ और लोग यहां, पर‌ काम तो जुदा है।।
ना होते कई यहां यतीम, बेघर, और मजलुम,रंजेश। 
अगर लोग सच में मानते की यहां हर जीव में खुदा है।।

©"विभर्षी" रंजेश सिंह

खौफ है बस इधर , इंसानियत किधर गुमशुदा है। कहते हैं कुछ और लोग यहां, पर‌ काम तो जुदा है।। ना होते कई यहां यतीम, बेघर, और मजलुम,रंजेश। अगर लोग सच में मानते की यहां हर जीव में खुदा है।। ©"विभर्षी" रंजेश सिंह

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YAADON KE BERAHAM SAILAAB, AKSAR LE DOOBTE HAI RAAT KE HASEEN KHWAABH... #MAESTRO..... #Devilliers_💔💔💔 ©Ab Devilliers Ankit Yadav

#Devilliers_💔💔💔 #maestro #Fear  YAADON KE BERAHAM SAILAAB,
AKSAR LE DOOBTE HAI RAAT KE HASEEN KHWAABH...
#MAESTRO.....
#Devilliers_💔💔💔

©Ab Devilliers Ankit Yadav

Alone #Fear

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"तंत्र साधना, शव साधना, श्मशान साधना, भैरवी और तारा जैसी सारी साधनाएं जानता हूँ मैं!!! समझा महा मूर्ख!!!! अब मेरी शक्तियों को कम समझने की गलती की तो तुझे खड़ा खड़ा भी भस्म कर सकता हूँ मैं।  दुबारा मत पूछना।" भयानक वेशभूषा और शक्ल वाला अघोरी घनी अंधेरी रात में अमर को पकड़ कर श्मशान घाट लेकर जा रहा है। आधी रात में सब सोए हैं, और जाग रहा है तो बस श्मशान।  तेज हवाएं चल रही है, पेड़ों के पत्ते कानों में सांय सांय की आवाज़ कर रहे हैं। अजीब से जानवरों की आवाज़ें उन पत्तों की आवाजों के साथ मिलकर उस रात को और डरावना बना रही है। अमर उसके साथ साथ उसके पीछे पीछे चला जा रहा है। श्मशान घाट में जली कुछ चिताओं के अंगारे तक अब तक ठंडे नहीं हुए। अघोरी अमर को एक ऐसी ही चिता के पास ले गया जो कुछ समय पहले जलकर भस्म हो चुकी थी। उसके अंगारे भी अपेक्षाकृत ठंडे हो चुके थे। उसने अमर को वहाँ ले जाकर कुछ मंत्र पढ़ते हुए चिता के बीचों बीच बैठने का इशारा किया।अमर को बीचो-बीच बिठा देने के बाद उसने  पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कहा "ओम ह्रीं फट" फिर चारों और घूम कर उसने चारों दिशाओं को कीलित करना शुरू किया। इसके लिए पहले पूर्व में मुँह कर हाथ मे जल ले उसने अपने गुरु का ध्यान किया । फिर पश्चिम में मुंह कर "जय बटुक भैरवाय नमः" कहा।  उत्तर में घूमकर हाथ मे जल लेकर "योगिनी नमो नमः" कहा। दक्षिण में घूमकर फिर "ओम फट स्वाहा" कहते हुए वह जोर से चिल्लाया।  उसके चिल्लाने के बाद जवाब में कुछ चीखें श्मशान में सुनाई देने लगीं। ©Divya Joshi

#eklekhanimeribhi #roohkarishta #djblogger #Fear  "तंत्र साधना, शव साधना, श्मशान साधना, भैरवी और तारा जैसी 
सारी साधनाएं जानता हूँ मैं!!! 
समझा महा मूर्ख!!!! अब मेरी शक्तियों को कम 
समझने की गलती की 
तो तुझे खड़ा खड़ा भी भस्म कर सकता हूँ मैं। 
 दुबारा मत पूछना।"

भयानक वेशभूषा और शक्ल वाला अघोरी घनी अंधेरी रात में अमर
 को पकड़ कर श्मशान घाट लेकर जा रहा है। 
आधी रात में सब सोए हैं, और जाग रहा है तो बस श्मशान। 
तेज हवाएं चल रही है, पेड़ों के पत्ते 
कानों में सांय सांय की आवाज़ कर रहे हैं। 
अजीब से जानवरों की आवाज़ें उन पत्तों की 
आवाजों के साथ मिलकर उस रात को 
और डरावना बना रही है। 
अमर उसके साथ साथ उसके पीछे पीछे चला जा रहा है।
 श्मशान घाट में 
जली कुछ चिताओं के अंगारे तक अब तक ठंडे नहीं हुए।

अघोरी अमर को एक ऐसी ही चिता के पास ले गया जो कुछ
 समय पहले 
जलकर भस्म हो चुकी थी। 
उसके अंगारे भी 
अपेक्षाकृत ठंडे हो चुके थे। उसने अमर को वहाँ ले जाकर कुछ
 मंत्र पढ़ते हुए चिता
 के बीचों बीच बैठने का इशारा किया।अमर को बीचो-बीच 
बिठा देने के बाद उसने 

पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कहा
"ओम ह्रीं फट"
फिर चारों और घूम कर उसने चारों दिशाओं को 
कीलित करना शुरू किया।
इसके लिए पहले पूर्व में मुँह कर हाथ मे जल ले उसने अपने गुरु का ध्यान किया ।
फिर पश्चिम में मुंह कर "जय बटुक भैरवाय नमः" कहा। 
उत्तर में घूमकर हाथ मे जल लेकर "योगिनी नमो नमः" कहा। 
दक्षिण में घूमकर फिर "ओम फट स्वाहा" कहते हुए वह जोर से चिल्लाया। 
उसके चिल्लाने के बाद जवाब में कुछ चीखें श्मशान में सुनाई देने लगीं।

©Divya Joshi

चलो बाकी बातें कल करेंगे सो भी जाओ तुम्हें जल्दी भी तो उठना है।" कहकर दादी ने तृषा को लाइट ऑफ कर सो जाने को कहा।  "तंत्र साधना, शव साधना, श्मशान साधना, भैरवी और तारा जैसी सारी साधनाएं जानता हूँ मैं!!! समझा महा मूर्ख!!!! अब मेरी शक्तियों को कम समझने की गलती की तो तुझे खड़ा खड़ा भी भस्म कर सकता हूँ मैं।  दुबारा मत पूछना।" भयानक वेशभूषा और शक्ल वाला अघोरी घनी अंधेरी रात में अमर को पकड़ कर श्मशान घाट लेकर जा रहा है। आधी रात में सब सोए हैं, और जाग रहा है तो बस श्मशान।  तेज हवाएं चल रही है, पेड़ों के

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फितरत और फ़ित्नत बनाया जिस फितरत से तुझे, उसी से तू फ़ितनाह करता हे.. होकर मिट्टी का पुतला तू, फ़िर भी खुदा से ना डरता हे ©Mchokla.bsw

#Fear  फितरत और फ़ित्नत

बनाया जिस फितरत से तुझे, 
उसी से तू फ़ितनाह करता हे..

होकर मिट्टी का पुतला तू,
 फ़िर भी खुदा से ना डरता हे

©Mchokla.bsw

#Fear

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पत्थरों को भी दर्द तो होता है चुप रह्ते है रोते नहीं फर्क सिर्फ़ यही तो होता है पत्थरों को भी दर्द तो होता है अंधी तुफ़ान भी चलते है गम अन्दर ही घुटकर रोता है दिखाई देते है अच्छे खासे लेकिन उनका अंतर मन अन्दर से टूटा होता है चुप रह्ते है रोते नहीं फर्क सिर्फ यही तो होता है पत्थरों को भी दर्द तो होता है ©Mukesh Tyagi

#कविता #Fear  पत्थरों को भी दर्द तो होता है 
चुप रह्ते है रोते नहीं 
फर्क सिर्फ़ यही तो होता है 
पत्थरों को भी दर्द तो होता है 
अंधी तुफ़ान भी चलते है
गम अन्दर ही घुटकर रोता है
दिखाई देते है अच्छे खासे
लेकिन उनका अंतर मन
अन्दर से टूटा होता है
चुप रह्ते है रोते नहीं 
फर्क सिर्फ यही तो होता है
पत्थरों को भी दर्द तो होता है

©Mukesh Tyagi

पत्थरों को भी दर्द तो होता है #Fear

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