प्रकृति भी तो साँस लेती हैं, बदले में हमें स्वच्छ वायु देती है,
वो तो माँ है, हमारे सारे अवगुण अपने अंक में समेट लेती हैं,
कैसे जी पाओगे प्रकृति के बगैर, इसी से तो धरा का अस्तित्व है,
रखरखाव और देखभाल करें माँ की तरह, इसी में हमारा हित है,
स्वच्छ वायु स्वच्छ जल, हरे भरे वृक्ष आदि प्रकृति का खज़ाना है,
इसकी रक्षा करना हमारा परम् कर्तव्य हैं ये हर पीढ़ी को सिखाना है,
अगर प्रकृति ना होंगी तो, धरती का अस्तित्व ही मिट जायेगा,
जो इस बार मिला हैं मानव जीवन, वो दोबारा ना मिल पायेगा,
प्रकृति से खिलवाड़ कर हम विनाश की ओर क़दम बढ़ा रहे है,
इसका खामियाज़ा हम, दुष्कर और आसाध्य रोग से उठा रहे हैं,
आओ मिलकर शपथ उठाये, कि प्रकृति को नष्ट होने से बचायेंगें,
इसकी सुरक्षा करनी हम, आने वाली इंसानी नस्ल को भी सिखाएंगे।।
-पूनम आत्रेय
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