"भक्ति में प्रकाश
आज मनुष्य दृष्टिगत होकर भी दृष्टिहिन है
उसे सच देखने की वो प्रकाश दृष्टि नहीं है
क्योंकि वो स्वयं को विद्मान समझ बैठा है
उसे शायद ए पता नहीं की बिना ईश्वर कै मर्जी एक पत्ता भी नहीं हिल सकता।
अरे मुर्ख अज्ञानी बिल्ली ने रास्ता काटा ए भी ईश्वर के मर्जी से
©Surendra Kumar Kahar
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