Vidhi Mishra

Vidhi Mishra

बिन कहे सब कह जाती हूँ, शब्दों से ही अपने हर भाव को व्यक्त कर जाती हूँ।।

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"कौन है माँ?" जो श्वेत है, शीतल है, भावना है, अहसास है जो श्रृंगार है, कोमल है, निर्मल है, कड़कती धूप में ठंडी छाव है जो जीवन दात्री है, तारिणी है, शक्ति है, स्वाभिमान है जो मीठी सी लोरी है, ममता का गीत है, प्यार भरी थपकी है, जादू की झप्पी है जो त्याग है, तपस्या है, पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है जो बंजर ज़मीन में उम्मीद की बौछार है, अंधेरे में उजियारा है, ईश्वर की सूरत है, प्रेम की मूरत है जो अर्पण है, समर्पण है, ममत्व का दर्पण है जो परमात्मा के लिए भी वंदनीय है, सर्वोपरि है, साक्षात आदिशक्ति है, वही तो 'माँ' है।

#कविता #mother_Love #Emotions #feelings #maa  "कौन है माँ?"
जो श्वेत है, शीतल है, भावना है, अहसास है
जो श्रृंगार है, कोमल है, निर्मल है, कड़कती धूप में ठंडी छाव है
जो जीवन दात्री है, तारिणी है, शक्ति है, स्वाभिमान है
जो मीठी सी लोरी है, ममता का गीत है, प्यार भरी थपकी है, जादू की झप्पी है
जो त्याग है, तपस्या है, पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है
जो बंजर ज़मीन में उम्मीद की बौछार है, अंधेरे में उजियारा है, ईश्वर की सूरत है, प्रेम की मूरत है
जो अर्पण है, समर्पण है, ममत्व का दर्पण है
जो परमात्मा के लिए भी वंदनीय है,
सर्वोपरि है, साक्षात आदिशक्ति है,
वही तो 'माँ' है।
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'रात का सफर' रात का सफर कुछ रूहानी सा लगता है, इन तारों की छाओं और खिलखिलाती चाँदनी में, मंज़िलों को ढूंढना एक दिलकश ख़ुमार सा लगता है। चल दी हूँ अपने मुक़ाम को हासिल करने, दिल में एक आत्मविश्वास जगाकर और सपनों की दुनिया को हक़ीक़त में बदलने की ख्वाइश लेकर,  ज़िन्दगी के असली मक़सद को तलाशने, अब निकल पड़ी हूँ मैं इस रात के सफर को कामयाबी का सफर बनाने। हमसफ़र तो वो उम्मीदें हैं, वो अनकहे जज़्बात हैं, वो अपनो के सपने हैं और वो कुछ कर गुज़रने की चाहत है, जो हर पल यह अहसास कराती है कि अभी थमना नहीं है लड़ना है, जी-जान लगा कर अपने लक्ष्य को हासिल करना है। भले ही अकेले चलना पड़े पर कर्तव्य पथ पर डटे रहकर, हर सपने को साकार करने के लिए, हर दिन कुछ करना है और हर रात के सफर को जीत के सफर में तब्दील करना है।

#कविता #मंज़िल #उड़ान #Inspiration #सफ़र  'रात का सफर'

रात का सफर कुछ रूहानी सा लगता है,
इन तारों की छाओं और खिलखिलाती चाँदनी में,
मंज़िलों को ढूंढना एक दिलकश ख़ुमार सा लगता है।
चल दी हूँ अपने मुक़ाम को हासिल करने,
दिल में एक आत्मविश्वास जगाकर और
सपनों की दुनिया को हक़ीक़त में बदलने की ख्वाइश लेकर, 
ज़िन्दगी के असली मक़सद को तलाशने,
अब निकल पड़ी हूँ मैं इस रात के सफर को कामयाबी का सफर बनाने।
हमसफ़र तो वो उम्मीदें हैं,
वो अनकहे जज़्बात हैं,
वो अपनो के सपने हैं और वो कुछ कर गुज़रने की चाहत है,
जो हर पल यह अहसास कराती है कि अभी थमना नहीं है लड़ना है,
जी-जान लगा कर अपने लक्ष्य को हासिल करना है।
भले ही अकेले चलना पड़े पर कर्तव्य पथ पर डटे रहकर,
हर सपने को साकार करने के लिए,
हर दिन कुछ करना है और
हर रात के सफर को जीत के सफर में तब्दील करना है।

'आज़ादी' चली आ रही थीं कुछ प्रथायें बरसों से इस समाज में, न अभिव्यक्ति की आज़ादी थी, न हिम्मत थी नए आगाज़ की। न भाव थे न भावार्थ थे, बस एक पत्थर की मूरत सी ज़िंदगी थी, जिसमें न ही मेरे शब्दार्थ थे। दिल में खलबली सी मची हुई थी, शायद आज़ादी की मांग थी, अपनी बहनों को कोख में ही दम तोड़ते देखा, तब टूट गया मेरे सब्र का बांध और विरोध करते हुए निकल पड़ी मैं बिखरते जीवन को संवारने, अपने ख्वाबों के आज़ाद संसार को तलाशने। जब मैंने खुद को पहचाना, अपने अंदर ही ज़िन्दगी का मतलब जाना, खुद में ही सम्पूर्ण हूं, मैं भी तो आज़ाद हूं, क्यों किसी के आधीन जियूँ मैं इस संसार की बुलंद नींव हूं। अब हिम्मत से आगे बढ़ना है, खुद को बेहतर बनाना है, कम नहीं मैं किसी से भी ये साबित करके दिखाना है। चलना है बिना रुके, ख्वाबों को सच करना है, उड़ना है बेख़ौफ़ मुझे अब अपने लक्ष्य को हासिल करना है। अब नहीं रही मैं मूरत पत्थर की, खुद को आज़ाद मैंने कराया है, सारी बेड़ियों को तोड़ मैंने खुलकर जीने का साहस दिखाया है। आज़ाद पंछी सी उड़ रही हूं, झूम रही हूं अपनी धुन में, अब वो दिन दूर नहीं जब बेटियों का परचम लहराएगा दुनिया के हर छेत्र में।

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चली आ रही थीं कुछ प्रथायें बरसों से इस समाज में,
न अभिव्यक्ति की आज़ादी थी, न हिम्मत थी नए आगाज़ की।
न भाव थे न भावार्थ थे, बस एक पत्थर की मूरत सी ज़िंदगी थी, जिसमें न ही मेरे शब्दार्थ थे।
दिल में खलबली सी मची हुई थी, शायद आज़ादी की मांग थी,
अपनी बहनों को कोख में ही दम तोड़ते देखा, तब टूट गया मेरे सब्र का बांध और विरोध करते हुए
निकल पड़ी मैं बिखरते जीवन को संवारने, अपने ख्वाबों के आज़ाद संसार को तलाशने।
जब मैंने खुद को पहचाना, अपने अंदर ही ज़िन्दगी का मतलब जाना,
खुद में ही सम्पूर्ण हूं, मैं भी तो आज़ाद हूं, क्यों किसी के आधीन जियूँ मैं इस संसार की बुलंद नींव हूं।
अब हिम्मत से आगे बढ़ना है, खुद को बेहतर बनाना है, कम नहीं मैं किसी से भी ये साबित करके दिखाना है।
चलना है बिना रुके, ख्वाबों को सच करना है, उड़ना है बेख़ौफ़ मुझे अब अपने लक्ष्य को हासिल करना है।
अब नहीं रही मैं मूरत पत्थर की, खुद को आज़ाद मैंने कराया है, सारी बेड़ियों को तोड़ मैंने खुलकर जीने का साहस दिखाया है।
आज़ाद पंछी सी उड़ रही हूं, झूम रही हूं अपनी धुन में, अब वो दिन दूर नहीं जब बेटियों का परचम लहराएगा दुनिया के हर छेत्र में।

हर छोटी-छोटी बात पर मेरे बड़े-बड़े नखरों की कमी है, आज फिर उलझनों में कंधे पर हाथ रख बहलाने वाले की कमी है। इन बेग़ैरत रातों में उड़ी हुई नींदों को थपथपा कर वापस लाने वाले की कमी है, आज फिर लड़खड़ाते इन कदमों को हाथ थाम कर संभालने वाले की कमी है। हर छोटे-मोटे मुद्दों पर मीठी सी नोक-झोंक करने वालों की कमी है, आज फिर एक रोटी ज़्यादा खिलाने वाले की कमी है। हर दर्द को सहारा बन दूर करने वालों की कमी है, आज फिर बीते हुए हर लम्हे में याद तो है पर मेरी मौजूदगी की कमी है। हर चीज़ में मेरी मनमर्ज़ियों और ज़िदों की कमी है, आज फिर घर और घरवालों की कमी है। पर खुद को साबित करना है, एक मुक़ाम को हासिल करना है, शायद इसीलिए आज फिर दिल में सैकड़ों अरमान और आंखों में एक अजीब सी नमी है।

#होस्टल #कविता #कमी #Memories #Dreams  हर छोटी-छोटी बात पर मेरे बड़े-बड़े नखरों की कमी है,
आज फिर उलझनों में कंधे पर हाथ रख बहलाने वाले की कमी है।
इन बेग़ैरत रातों में उड़ी हुई नींदों को थपथपा कर वापस लाने वाले की कमी है,
आज फिर लड़खड़ाते इन कदमों को हाथ थाम कर संभालने वाले की कमी है।
हर छोटे-मोटे मुद्दों पर मीठी सी नोक-झोंक करने वालों की कमी है,
आज फिर एक रोटी ज़्यादा खिलाने वाले की कमी है।
हर दर्द को सहारा बन दूर करने वालों की कमी है,
आज फिर बीते हुए हर लम्हे में याद तो है पर मेरी मौजूदगी की कमी है।
हर चीज़ में मेरी मनमर्ज़ियों और ज़िदों की कमी है,
आज फिर घर और घरवालों की कमी है।
पर खुद को साबित करना है, एक मुक़ाम को हासिल करना है,
शायद इसीलिए आज फिर दिल में सैकड़ों अरमान और आंखों में एक अजीब सी नमी है।
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