बात ज्यादा पुरानी नहीं बस यादें
थोडा ज्यादा जल्दी धुंधली हो गयी हैं
जिस ऊँगली को पकड़कर चलना
सीखा हमने वो अब बूढ़ी हो गयी हैं
आज भावुकता से जो देखा करीब से तो पाया मैंने
मेरे पिता जी का वो चहेरा जो
उस दौर मे चमकता था,
जरूरतें हमारी पूरी करते करते
अब उसी चेहरे पर झुर्रियां हावी हो गयी हैं
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