“नहीं सुनना नहीं मुझको,
तेरी झूठी कहानी।
प्यार की बातें हैं इसमें,
प्यार नहीं।
दिखावा है, सच्चाई नहीं।
प्यार नहीं तो मना कर,
है भीतर तो बयां कर,
बेवजह क्यों उलझाए हुए है,
“बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो,
करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो।
क्रोध करके स्नेह मांगते हो,
करते हो हिंसा और शांति मांगते हो।
असत्य के व्यवहार में, सत्यता मांगते हो,
व्यभिचार में रमे, चरित्र मांगते हो,
असभ्य हो स्वयं और सभ्य बेटा मांगते हो।
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