विशाल पांढरे

विशाल पांढरे Lives in Pirangut, Maharashtra, India

भाषाएँ कौनसी भी हो हाल-ए-दिल हर्फ़-दर-हर्फ़ बयाँ कर ही देती है

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#शायरी #love_shayari  White बस मैं और तुम यहीं ज़िंदगी है
सोहबत सिर्फ़ तुम्हारे यहीं आशिक़ी है

©विशाल पांढरे

#love_shayari

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#मोटिवेशनल #Ind_vs_pak  White यूँ आसाँ नहीं होता साबित करना
यहाँ दौर-ए-वक़्त संग चलना पड़ता है
हार-जीत मायने रखती‌‌ है शायद
पर वक़्त से सोहबत बढ़ना पड़ता है

हौसला टूटे ना कभी के हम कौन है
हमारा वजूद ही बता पता देगा
जब लहराएँगा तिरंगा प्यारा
तो दुनिया को पता यही बता देगा

©विशाल पांढरे

#Ind_vs_pak

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White है इसी बात से वज़ूद मिरा के तुम सोहबत हो इसे गुरूर कहो या कुछ तुम ही मुहब्बत हो तुम से ही है जहान, आशियाँ और यह मकान ता-उम्र संजोया जाए ऐसी तुम इक़ दौलत हो बताऊँ तो हर्फ़-ग़ह ही कम पड़ जाए जानम रिश्तों की ड़ोर में बंधन के जैसी हसरत हो कायनात में मुझ सा और कौन होगा कोई जिस में पलती हुई तुम हमारी विरासत हो ©विशाल पांढरे

#शायरी #life_quotes  White है इसी बात से वज़ूद मिरा के तुम सोहबत हो
इसे गुरूर कहो या कुछ तुम ही मुहब्बत हो

तुम से ही है जहान, आशियाँ और यह मकान
ता-उम्र संजोया जाए ऐसी तुम इक़ दौलत हो

बताऊँ तो हर्फ़-ग़ह ही कम पड़ जाए जानम
रिश्तों की ड़ोर में बंधन के जैसी हसरत हो

कायनात में मुझ सा और कौन होगा कोई
जिस में पलती हुई तुम हमारी विरासत हो

©विशाल पांढरे

#life_quotes

15 Love

White कैसी पेशक़श है ज़िंदगी तेरी तुझमें ख़ामियाँ बहुत है कितनी संवार लूँ बता मुझे दिखती कमियाँ बहुत है ता-उम्र तुम्हें गुज़ार कर आज़ ख़ाली रह गया हूँ क्यों? चंद लम्हें इशरतों के चाहीए थे देखा तो तन्हाईयाँ बहुत है फ़िर भी चाहत इतनी थी रखी किसी रोज़ ख़ुदी से मिलूँगा अभी देखता हूँ जब भी मैं मुझे मिली जुदाईयाँ बहुत है ©विशाल पांढरे

#शायरी #alone_quotes  White कैसी पेशक़श है ज़िंदगी तेरी
तुझमें ख़ामियाँ बहुत है
कितनी संवार लूँ बता मुझे
दिखती कमियाँ बहुत है

ता-उम्र तुम्हें गुज़ार कर
आज़ ख़ाली रह गया हूँ क्यों?
चंद लम्हें इशरतों के चाहीए थे
देखा तो तन्हाईयाँ बहुत है

फ़िर भी चाहत इतनी थी रखी
किसी रोज़ ख़ुदी से मिलूँगा
अभी देखता हूँ जब भी मैं
मुझे मिली जुदाईयाँ बहुत है

©विशाल पांढरे

#alone_quotes

13 Love

#hindi_poem_appreciation #शायरी  White अच्छा हूँ या बुरा हूँ यह तुम बताओ या वक़्त पर छोड़ दो
गवाही दूँ क्यों मैं ग़र शिकवा है तो तुम राह को मोड़ दो

अब होगा नहीं यूँ बदलना बार-बार ख़ातिर तुम्हारे मुझे
बनावटी रिश्तों के किश्तों को सर-ए-आम अब तोड़ दो

तब्दीली होनी चाहीए पर इतनी भी नहीं ज़िंदगी में के
किसी की ज़िंदगी की लगाकत वाट तोड़-फ़ोड़ दो

तो अच्छा होगा चला जाना ज़लील होने से पहले
दिल-ए-मुर्दा कहता है मिले तो उसे भी निचौड़ दो

©विशाल पांढरे

White बड़ी ख़ूबसूरत है ज़िंदगी जो चल रही है इशरत के पलों से ये जो पिघल रही है दर्द-ओ-ग़म है इसमें मैं मना कहाँ करता हूँ बा-वज़ूद इसके ख़ुद में संभल रही है जानती है नफ़रत भी और मुहब्बत भी पहलू अच्छा रख बुराई जो निगल रही है कट जाती नहीं अब यह गुज़रना चाहती है सफ़र में मंज़िल मिले न मिले चल रही है दूर कहीं इक़ तलाश में अब इसे जाना है बस मुझे आख़री दफ़ा मिल के निकल रही है ©विशाल पांढरे

#hindi_poem_appreciation #शायरी  White बड़ी ख़ूबसूरत है ज़िंदगी जो चल रही है
इशरत के पलों से ये जो पिघल रही है

दर्द-ओ-ग़म है इसमें मैं मना कहाँ करता हूँ
बा-वज़ूद इसके ख़ुद में संभल रही है

जानती है नफ़रत भी और मुहब्बत भी
पहलू अच्छा रख बुराई जो निगल रही है

कट जाती नहीं अब यह गुज़रना चाहती है
सफ़र में मंज़िल मिले न मिले चल रही है

दूर कहीं इक़ तलाश में अब इसे जाना है
बस मुझे आख़री दफ़ा मिल के निकल रही है

©विशाल पांढरे
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