मोह भरे इस जग में
मोहे प्रेम है तुमसे
तुमपे ना मरी
तुमपे ना मिटी
तुमसे ना बिखरी
तुमपे ना सजी हूं मै
मोहे प्रेम है तुमसे इस जग से दूर
हर संध्या से भोर तलक
मै निधिवन की तुलसी का फूल
रास रचू तुझ संग होके तुझमें लीन
आ तू मिलन को प्रियतम कर दे मेरी पूर्ण प्रीत
ना राधा बनूं मै ना बनूं मै रुकमणी
ना बनी मै मीरा ना बनूं मै सत्यभामा
मै हूं एक गोपी तेरे गण की, तुझ संग
रास रचत नाम जपु तेरा हर बात मै
बस कृष्णा - रामा , कृष्णा - रामा
तू देवकी मईया का है लाडला
यशोदा मैया का है तू दुलारा
तू ही राधा संग राधा बना
मीरा को भी आत्मसात किया
कृष्ण, प्रेम से ऊपर नाम है तेरा
अब तू ही बन बस भाग्य मेरा।
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