Rahul Red

Rahul Red Lives in Farrukhabad, Uttar Pradesh, India

मेरे बारे में कुछ नहीं जानता जमाना फिर भी कमियाँ निकालता जमाना कुछ ना लिखूँ तो बुरा मानती हो तुम कुछ लिख दूँ तो बुरा मानता जमाना ©राहुल रेड

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पक्षपात इतने दिनों से रोज मैसेज पे मैसेज भेजकर #nojoto वालों ने पिन कर रखा था कि राइटर हो हमारे app पर आओ ब्ला ब्ला ब्ला सच बताऊं तो मुझे ये app बिल्कुल झंड लगा इसमें और दूसरे शार्ट वीडियो app में कोई ज्यादा फर्क नहीं है साहित्य ने नाम पर टूटी फूटी हल्की फुल्की तुकबंदी और कहीं कहीं पर कॉपी पेस्ट ट्रेंडिंग में होता है मुझे इसमें असल साहित्य तो मिला ही नहीं क्योंकि nojoto वाले खुद तुकबंदी की पैदाइश हैं अंधेर नगरी चौपट राजा..... हटा रहा हूँ ये घटिया app ©Rahul Red

#WForWriters  पक्षपात  इतने दिनों से रोज मैसेज पे मैसेज भेजकर #nojoto वालों ने पिन कर रखा था कि राइटर हो हमारे app पर आओ ब्ला ब्ला ब्ला
सच बताऊं तो मुझे ये app बिल्कुल झंड लगा इसमें और दूसरे शार्ट वीडियो app में कोई ज्यादा फर्क नहीं है साहित्य ने नाम पर टूटी फूटी हल्की फुल्की तुकबंदी और कहीं कहीं पर कॉपी पेस्ट ट्रेंडिंग में होता है
मुझे इसमें असल साहित्य तो मिला ही नहीं क्योंकि nojoto वाले खुद तुकबंदी की पैदाइश हैं 
अंधेर नगरी चौपट राजा.....
हटा रहा हूँ ये घटिया app

©Rahul Red

#WForWriters

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#rahulred #ghazal #kavita

कौन से मुल्क़ में इंसन नज़र आता है #rahulred #ghazal #kavita

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#rahulred #Ajeeb #poem

जिंदगी से गिला है बहुत को मगर मौत कमबख्त उनको क्यों आती नही © राहुल रेड

#Success  जिंदगी से गिला है बहुत को मगर
मौत कमबख्त उनको क्यों आती नही

© राहुल रेड

#Success

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जैसे दावत की पंक्ति में जल भाई जल चिल्लाते हैं चीख चीख क्या मिला है उनको जो हरपल चिल्लाते हैं हम जैसे हैं हम को वैसा ही रहने दो बदलो मत हम वो भक्त नहीं जो दिनभर कमल कमल चिल्लाते हैं लोग सामने से अक्सर करते झूठी तारीफ मेरी बाद में मेरे आगे पीछे अगल बगल चिल्लाते हैं सीख तलफ़्फ़ुज़ उर्दू वाली बात करेंगे नुक़्ते की मिसरे बह्र से बाहर हैं और ग़ज़ल ग़ज़ल चिल्लाते हैं सातों दिन हो गए कथा के लाउड स्पीकर फोड़े कान इक थकता तो दूजा आता बदल बदल चिल्लाते हैं © राहुल रेड 

#rahulred #peace #gajal  जैसे दावत की पंक्ति में जल भाई जल चिल्लाते हैं
चीख चीख क्या मिला है उनको जो हरपल चिल्लाते हैं

हम जैसे हैं हम को वैसा ही रहने दो बदलो मत
हम वो भक्त नहीं जो दिनभर कमल कमल चिल्लाते हैं

लोग सामने से अक्सर करते झूठी तारीफ मेरी
बाद में मेरे आगे पीछे अगल बगल चिल्लाते हैं

सीख तलफ़्फ़ुज़ उर्दू वाली बात करेंगे नुक़्ते की
मिसरे बह्र से बाहर हैं और ग़ज़ल ग़ज़ल चिल्लाते हैं

सातों दिन हो गए कथा के लाउड स्पीकर फोड़े कान
इक थकता तो दूजा आता बदल बदल चिल्लाते हैं

© राहुल रेड 

जैसे दावत की पंक्ति में जल भाई जल चिल्लाते हैं चीख चीख क्या मिला है उनको जो हरपल चिल्लाते हैं हम जैसे हैं हम को वैसा ही रहने दो बदलो मत हम वो भक्त नहीं जो दिनभर कमल कमल चिल्लाते हैं लोग सामने से अक्सर करते झूठी तारीफ मेरी बाद में मेरे आगे पीछे अगल बगल चिल्लाते हैं सीख तलफ़्फ़ुज़ उर्दू वाली बात करेंगे नुक़्ते की मिसरे बह्र से बाहर हैं और ग़ज़ल ग़ज़ल चिल्लाते हैं सातों दिन हो गए कथा के लाउड स्पीकर फोड़े कान इक थकता तो दूजा आता बदल बदल चिल्लाते हैं © राहुल रेड 

#rahulred #peace #gajal  जैसे दावत की पंक्ति में जल भाई जल चिल्लाते हैं
चीख चीख क्या मिला है उनको जो हरपल चिल्लाते हैं

हम जैसे हैं हम को वैसा ही रहने दो बदलो मत
हम वो भक्त नहीं जो दिनभर कमल कमल चिल्लाते हैं

लोग सामने से अक्सर करते झूठी तारीफ मेरी
बाद में मेरे आगे पीछे अगल बगल चिल्लाते हैं

सीख तलफ़्फ़ुज़ उर्दू वाली बात करेंगे नुक़्ते की
मिसरे बह्र से बाहर हैं और ग़ज़ल ग़ज़ल चिल्लाते हैं

सातों दिन हो गए कथा के लाउड स्पीकर फोड़े कान
इक थकता तो दूजा आता बदल बदल चिल्लाते हैं

© राहुल रेड 
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