Anjali Raj

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I am scattered in my words. Gather me if you can. I have gathered myself a little in #BuddingSky and in #चुटकीभरख़्वाब

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भुला के सब, किसी का इंतज़ार करना। जो कर सको तभी किसी से प्यार करना। ©Anjali Raj

#अंजलिउवाच #इंतज़ार #प्यार #Quotes  भुला के सब, किसी का इंतज़ार करना।
जो कर सको तभी किसी से प्यार करना।

©Anjali Raj

भुला के दर्द सारे ज़िन्दगी के, चलो इक दूसरे में हो रहें गुम। ज़हन में हो बसा लम्हा वही बस, कि जिसमें साथ हैं इक मैं और इक तुम।

#अंजलिउवाच #yqaestheticthoughts #aestheticthoughts #YourQuoteAndMine #latenightquotes  भुला के दर्द सारे ज़िन्दगी के,
चलो इक दूसरे में हो रहें गुम।
ज़हन में हो बसा लम्हा वही बस,
कि जिसमें साथ हैं इक मैं 
और इक तुम।

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2 Love

सौ दफ़ा आज़माकर भी, तुझमे कुछ तो पराया है, जिसको दिल छू न पाया है।

#नज़दीकआकरभी #अंजलिउवाच #YourQuoteAndMine #Collab #yqdidi  
सौ दफ़ा आज़माकर भी,
तुझमे कुछ तो पराया है,
जिसको दिल छू न पाया है।

इतने नज़दीक आकर भी... #नज़दीकआकरभी #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #अंजलिउवाच

2 Love

करोगे याद उसको क्यों, रहा ना काम जिससे अब। वो पल कुछ और थे होते शुरू दिन रात उससे जब। वही हो तुम, वही है वो, मगर सब कुछ नया सा है। वफ़ा के सिलसिले हैं बन गए भूले से किस्से सब।

#अंजलिउवाच #सिलसिले #किस्से #काम #वफ़ा  करोगे याद उसको क्यों, रहा ना काम जिससे अब।
वो पल कुछ और थे होते शुरू दिन रात उससे जब।
वही हो तुम, वही है वो, मगर सब कुछ नया सा है।
वफ़ा के सिलसिले हैं बन गए भूले से किस्से सब।

          इक इक पल इक साल लगे और साल लगे सदियों जैसा। इंतज़ार के अश्कों का इक इक कतरा नदियों जैसा।          

#अंजलिउवाच #इंतज़ार #कतरा #अश्क #नदी             
इक इक पल इक साल लगे और 
साल लगे सदियों जैसा।
इंतज़ार के अश्कों का 
इक इक कतरा नदियों जैसा।

         

जगत कृष्णमय हुआ और रवि ने बांसुरी बजायी। किरणों ने फिर रास रचा घर घर आवाज़ लगायी। वंशी सुनकर दिनकर की हो पुलकित रम्या धरणी, सकुचाए लोचन, स्मित आनन से मन में मुस्कायी। त्याग तिमिर का वसन प्रकृति ने हरीतिमा है ओढ़ी। कण कण भर उल्लास, तरंगिणि ने काया लचकायी। थाप मृदंग सुनी मारुत की, झूमे कुसुमित उपवन। जागा वैभव सकल, कृष्ण की जन्म अष्टमी आयी। अंजलि राज

#जन्माष्टमी #अंजलिउवाच #प्रकृति #कृष्ण #धरा  जगत कृष्णमय हुआ और रवि ने बांसुरी बजायी।
किरणों ने फिर रास रचा घर घर आवाज़ लगायी।

वंशी सुनकर दिनकर की हो पुलकित रम्या धरणी,
सकुचाए लोचन, स्मित आनन से मन में मुस्कायी।

त्याग तिमिर का वसन प्रकृति ने हरीतिमा है ओढ़ी।
कण कण भर उल्लास, तरंगिणि ने काया लचकायी।

थाप मृदंग सुनी मारुत की, झूमे कुसुमित उपवन।
जागा वैभव सकल, कृष्ण की जन्म अष्टमी आयी।



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