रिश्ते बदल जाते हैं, जज़्बात नहीं ।
मैंने अक्सर तुम्हें वजह बेवजह से फूल देने के बहाने ढूंढें,
और जब जब फूल दिए तो कांटे चुनकर दिए ताकि
तुम्हारे हिस्से में कभी कांटे ना आएं ।
देखो वैसे आज मेरे पास तुम्हें फूल देने का कोई बहाना तोह नहीं, और शायद ना कोई हक़ - मगर आज जब तुमसे तुम्हारे दिल अजीज करीबी लोग साथ निभाने, रक्षा करने का वादा कर रहे होंगे, मैं तुमसे दूर ही सही मगर दुनिया के किसी कोने में बैठा कांटें चुन रहा होऊंगा, क्यूंकि मैं नहीं चाहता की तुम्हारे हिस्से कभी कांटें आएं, मैं हरदम चाहूंगा तुम्हारे हिस्से फूल आएं ।
और मैं ये करता रहूंगा उमर भर, मुस्कुराते हुए ।
©Neer
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