संकट के इस अंधियारे में इक बात सुनो ये वाज़िब है, काँटे तो राह में होंगे ही, रुक जाना कहाँ मुनासिब है।
कभी घटा घनघोर सी जीवन में ग़म की छा जाती है, पर कभी कभी साहिल पर कश्ती आंधी से ही आती है
चलते रहना रुकना मत बस इतना सा ध्यान रहे, समय का पहिया घूम रहा है, ये ही सब विद्वान कहे
बुरा वक्त है चला जायेगा, अच्छा भी तो आएगा। कर्म करेजा चिंता ना कर, फल तो मिल ही जायेगा
किस्मत पे रोने वालों की, तकदीर नहीं बन पाती है, गिरने पर उठ चलने की ही हिम्मत मंज़िल पहुंचाती है
यूँ हताश ना होकर बैठें, दूर अभी तो जाना है। अभी तो मेहनत शुरू हुई है, अभी तो खूब कमाना है
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