जानें वालों से राब्ता रख कर
हम नें खुद को तबाह कर डाला
तेरी यादों से वास्ता रखकर
हमने खुद को तबाह कर डाला
मुस्तकिल सोचना यूं ही तुझको
तुझको पाने की जुस्तजू में फकत
अपनी राहों से फासला रख कर
हमने खुद को तबाह कर डाला
तुम तो मसरूफ़ से बहुत अक्सर
तुमको खुद में कहां से फुर्सत थी
खुदको बस तुम में मुब्तला रखकर
हमनें खुद को तबाह कर डाला
--मुसाफ़िर--
वो जिसके ख्बाब तुम देखो,वो जिसकी जुस्तजू में हो
जिसे पाने की नामुमकिन सी, तुम उस आरजू में हो
वो जो हासिल न हो होनें से ,बहुत बेचैन रहते हो
वो जब भी दूर हो जाए ,बहुत तुम दर्द सहते हो
तुम्हारा हक है, तुमको सब मिले तुम जिसके काइल हो
तुम्हारी हर जरूरत , हर तमन्ना तुमको हासिल हो
तुम्हें हासिल हो दुनिया भर की सारी नेमतें हर दम
तुम्हारा हक है, तुम पर हो खुदा की रहमतें हर दम
इक पल में ही हम दोनों मिले
एक पल में हुई सौ बातें कई
इक पल में मुहब्बत नें दे दी
हम दोनों को सौगातें कई
दूजे ही पल सब बिखर गया
हर ख्बाब ख्याल कतरा कतरा
फिर छूट गया तेरा और मेरा
ये साथ यूंही रफ्ता रफ्ता
ये पल पल बहते लम्हों में
हम दोनों यूंही बिखर गये
पल दो पल में न पता चला
क्या खता हुई हम बिछड़ गये
#riz
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