चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

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White चेतना के सुविचार--- कुछ बच्चे देखकर सीखते हैं तो कुछ बच्चे अभ्यास से सीखते हैं और कुछ बच्चे सीखना ही नहीं चाहते , तो उनको सीखाना मुश्किल हो जाता है। जिन बच्चों के अंदर सीखने की ललक होगी , वह बच्चा अपने लगन से हर क्षेत्र में निपुण होगा। चेतना प्रकाश चितेरी (चेतना सिंह ) २३ / ७ /२०२४ , ८:३९ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

#मोटिवेशनल #Sad_shayri  White चेतना के सुविचार---
कुछ बच्चे देखकर सीखते हैं तो कुछ  बच्चे अभ्यास से सीखते हैं और कुछ  बच्चे सीखना ही नहीं चाहते , तो उनको सीखाना मुश्किल हो जाता है।  जिन बच्चों के अंदर  सीखने की ललक  होगी , वह बच्चा अपने लगन से हर क्षेत्र में निपुण होगा। 
चेतना प्रकाश चितेरी  (चेतना सिंह ) 
२३ / ७ /२०२४ , ८:३९ पूर्वाह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

#Sad_shayri मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे सीखने की ललक

7 Love

कुछ तो हुआ है परेशान - सी लगती हो कुछ तो बात है जो मुझसे छुपाती हो, कह दो तुम अपने दिल की बात , गैर नहीं, मुझको तो अपना समझती हो। ( मौलिक रचना ) चेतना प्रकाश चितेरी ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

#कोट्स  कुछ तो हुआ है परेशान - सी लगती हो
कुछ  तो बात है  जो  मुझसे  छुपाती  हो, 
कह  दो  तुम  अपने  दिल की  बात , 
गैर नहीं, मुझको तो अपना  समझती हो।

( मौलिक रचना ) 
चेतना प्रकाश चितेरी

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

कुछ तो हुआ है परेशान - सी लगती हो कुछ तो बात है जो मुझसे छुपाती हो, कह दो तुम अपने दिल की बात , गैर नहीं, मुझको तो अपना समझती हो। ( मौलिक रचना ) चेतना प्रकाश चितेरी ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

7 Love

परार्थ _______ निज स्वार्थ त्याग कर , प्रभु का स्मरण कर। मानव जनम मिला है , जग में परार्थ कर । । कवयित्री - चेतना प्रकाश चितेरी , दिनांक -२८/५/२०२४ ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

#मोटिवेशनल  परार्थ
_______
निज  स्वार्थ त्याग कर , प्रभु का स्मरण कर। 
मानव जनम मिला   है , जग में परार्थ कर । । 

 
कवयित्री - चेतना प्रकाश चितेरी , 
दिनांक -२८/५/२०२४

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

परार्थ _______ निज स्वार्थ त्याग कर , प्रभु का स्मरण कर। मानव जनम मिला है , जग में परार्थ कर । । कवयित्री - चेतना प्रकाश चितेरी , दिनांक -२८/५/२०२४ ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

8 Love

#sad_shayari #लव  White साहिल
__________

एक छोर पर तू  है  एक छोर  पर मैं  हूंँ , 
हम तुम बिछड़े नदी के साहिल जैसे हैं ।
मगर, इस जनम में  हमारा   मिलना  नहींं  है , 
पर, तुम मायूस मत हो परीक्षा की घड़ी यही है।

(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
दिनांक - १७/५/२०२४ , ५:३३ अपराह्न
दिन - शुक्रवार

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

#sad_shayari

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White आज के ज़माने में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपने बीवी बच्चों से ज़्यादा दूसरों के बीवी बच्चों की फ़िक्र होती है। इतनी चिंता नि:स्वार्थ रूप से हो तो अच्छा है‌। किंतु पत्नी को कुछ आश्चर्य - सा लगता है। ३/५/२०२४ ,शुक्रवार ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

#विचार #Hope  White आज के ज़माने में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं  जिन्हें अपने बीवी बच्चों से ज़्यादा दूसरों के बीवी बच्चों की  फ़िक्र होती है। 
इतनी चिंता  नि:स्वार्थ रूप से हो तो अच्छा है‌।  किंतु  पत्नी  को कुछ आश्चर्य - सा लगता है।
३/५/२०२४ ,शुक्रवार

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

#Hope

10 Love

 जितने लोग मशहूर हुए हैं ,पहले लोगों ने उनके अंदर कमियांँ निकाली। लोगों की सुनकर यह लोग बैठ जाते तो शायद, आज इनको अपनी पहचान नहीं मिल पाती। चेतना कहती है प्रकाश से-- हम संघर्ष करेंगे , आखिरी सांँस तक लड़ेंगे, मेरे जीने का यही तरीका है  , "स्वयं से लड़ो दूसरों से नहीं ।"__ चेतना प्रकाश  चितेरी, प्रयागराज
५/४/२०२४ , ६:२६  अपराह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

# स्वयं से लड़ो , दूसरों से नहीं #

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