मिले तो दिल मिले वरना मिले तो क्या मिले
लफ्ज़ो को आपस में बदलो ना
बता ना, ये होंठ तूने क्यूँ सिले
यूँ तो फूल बहुत खिलते हैं तेरे बगिया में
और कुछ नहीं मूरझाए तो खिले तो क्या खिले।
की ये जो चार तारे है
चाँद के पीछे क्यों मंडरा रहे हैं?
चाँद सिर्फ एक की है
ये खुद पर क्यूँ ज़ुल्म उठा रहें हैं?
रूको, यहीं से वापिस लौट जाओ
मेरे महबूब सामने से आ रहे हैं।
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