White रात
रातें अंधेरों को बयां करती हैं,
मन में कहीं डर पैदा करतीं हैं,
इसलिये सब कहते रहे हैं,
दिन अच्छे हैं और रातें बुरी हैं,
पर अगर रातें न होतीं,
तो ये जिंदगी कभी रुकती ही नहीं,
हम थमते नहीं, शांत होते नहीं,
पैर भागते ही रहते, मन सोचता ही रहता,
होंठ बोलते ही रहते, आँखें देखतीं ही रहतीं,
हाथ चलते ही रहते, कान सुनते ही रहते,
रातें विराम लेकर आती हैं,
विश्रांति में ले जाती हैं,
निर्दोष होना सिखाती हैं,
रात की सरलता, शून्य और सन्नाटा,
वहां कोई अंहकार नहीं है,
रातें हमें खुद से मिलातीं हैं,
उजाले के भेदों को मिटाकर,
सबको एक जैसा बनातीं हैं,
समाजवादी रातों में मनुष्य शांत और सरल हों,
जिससे पूंजीवादी दिनों में प्रेम और करुणा की जय हो ।।
©Vinay Shrivastava
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