Kiran Tiwari

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hi I'm kiran,I'm M.A,B.Ed in hindi, from Mumbai university. I live in Mumbai, maharashtra. I like writing poems

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#sravan_folkgeet

#sravan_folkgeet happy sravan mas

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बेरूखी कितनी है जो खतम ही नहीं होती लाख कोशिश करने पर भी ये कम नहीं होती। मुश्किलें बहुत है तुम पर पता है मुझे परेशानी मेरी भी तो कम नहीं है। अपना समझो तो दर्द मेरा भी समझ आए बेरूखी से मुश्किलें हल नहीं होती। चेहरा पढ़ने का हुनर तो नहीं है तेरे पास समझना है गर तो ऑखों की हरकतें भी कम नहीं होती। किरन तिवारी ©Kiran Tiwari

#NationalSimplicityDay  बेरूखी कितनी है जो खतम ही नहीं होती 
लाख कोशिश करने पर भी ये कम नहीं होती। 

मुश्किलें बहुत है तुम पर पता है मुझे 
परेशानी मेरी भी तो कम नहीं है।

अपना समझो तो दर्द मेरा भी समझ आए 
बेरूखी से मुश्किलें हल नहीं होती। 

चेहरा पढ़ने का हुनर तो नहीं है तेरे पास
समझना है गर तो ऑखों की हरकतें भी कम नहीं होती। 

                                                        किरन तिवारी

©Kiran Tiwari

बेरूखी #NationalSimplicityDay

17 Love

हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी चाहत है कि यह सूरत बदलनी चाहिए। ©Kiran Tiwari

#दर्द  हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। 
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, 
मेरी चाहत है कि यह सूरत बदलनी चाहिए।

©Kiran Tiwari

रात को दिन दिन को कर दिया, तेरी खुशी की खातिर, गमो से अपना दामन भर लिया। तेरी एक मुस्कान पर अपना सब कुछ वार दिया। तुम्हें सूखे में खुद को गीले मे कर लिया, ये मां थी जिसने तुम पर, अपना पूरा जीवन वार दिया। तेरी एक इच्छा के कारण, अपनी इच्छाओं को दफन कर दिया। तेरी चोट पर दिन-रात रोती रही, तु एक आँसू रोया, इसने आंसुओं से आंचल भिगा लिया। ये मां थी जिसने तुम पर, अपना पूरा जीवन वार दिया। तेरी भूख की चिंता में, भूख अपना भी मार दिया। तेरे देर रात आने पर, सबसे पहले तेरी भूख का सुध लिया। तेरे आने के इंतजार में आंखों की नींद गवायी। अपना ध्यान तेरी राहों में लगा दिया। ये माॅ थी जिसने तुम पर, अपना पूरा जीवन वार दिया। माँ के प्यार का कर्ज कोई, जिंदगी भर की किश्तो से नहीं चुका पाया। माॅ गर रहेगी खुश तो, स्वर्ग तो तुमने यूँ ही पा लिया। माॅ की सेवा में आस्था रख, तुने सारे तीर्थ का पुण्य आप ही पा लिया। ये माँ थीं जिसने तुम पर, अपना पूरा जीवन वार दिया। ©Kiran Tiwari

#ये_माँ_थी #Mic  रात को दिन दिन को कर दिया, 
तेरी खुशी की खातिर, 
गमो से अपना दामन भर लिया। 
तेरी एक मुस्कान पर 
अपना सब कुछ वार दिया। 
तुम्हें सूखे में खुद को गीले मे कर लिया, 
ये मां थी जिसने तुम पर, 
अपना पूरा जीवन वार दिया।

तेरी एक इच्छा के कारण, 
अपनी इच्छाओं को दफन कर दिया।
तेरी चोट पर दिन-रात रोती रही,
तु एक आँसू रोया, 
इसने आंसुओं से आंचल भिगा लिया। 
ये मां थी जिसने तुम पर, 
अपना पूरा जीवन वार दिया।

तेरी भूख की चिंता में, 
भूख अपना भी मार दिया। 
तेरे देर रात आने पर, 
सबसे पहले तेरी भूख का सुध लिया। 
तेरे आने के इंतजार में आंखों की नींद गवायी। 
अपना ध्यान तेरी राहों में लगा दिया।
ये माॅ थी जिसने तुम पर, 
अपना पूरा जीवन वार दिया।

माँ के प्यार का कर्ज कोई,
जिंदगी भर की किश्तो से नहीं चुका पाया।
माॅ गर रहेगी खुश तो,  
स्वर्ग तो तुमने यूँ ही पा लिया।
माॅ की सेवा में आस्था रख,
तुने सारे तीर्थ का पुण्य आप ही पा लिया। 
ये माँ थीं जिसने तुम पर,
अपना पूरा जीवन वार दिया।

©Kiran Tiwari

चलते-चलते जिंदगी के सफर में, दिल कहता है चल दूर कहीं चले, अपनी पंखो को दे उडान नई , दिल कहता है चल दूर कहीं चले। बिन मंजिल के सफर में थक के, सिर्फ चले जा रहे हैं, जिए जा रहे हैं, अब इस सफर में थक कर, दिल कहता है चल दूर कहीं चलें। देखें नई दुनिया छुएं आसमान को, छोड़कर अनकही बंदिशें इन्हीं राह में, क्या पाया क्या खोया सब छोड़कर, दिल कहता है चल दूर कहीं चलें। अंधेरे से बच के, उजाले की करे खोज, उड़ने दे मन को बिन माझा बिन डोर, देखें आसमान की हद क्या है, बस, दिल कहता है चल दूर कहीं चलें। अपनी ख्वाहिशों को करें आजाद, मन को बनाएं गगन का बाज, जो है सब छोड़ यही आज, दिल कहता है चल दूर कहीं चलें। किरन तिवारी ©Kiran Tiwari

#Twowords  चलते-चलते जिंदगी के सफर में, 
दिल कहता है चल दूर कहीं चले, 
अपनी पंखो को दे उडान नई ,
दिल कहता है चल दूर कहीं चले।

 बिन मंजिल के सफर में थक के, 
 सिर्फ चले जा रहे हैं, जिए जा रहे हैं, 
 अब इस सफर में थक कर, 
 दिल कहता है चल दूर कहीं चलें। 
 
देखें नई दुनिया छुएं आसमान को, 
छोड़कर अनकही बंदिशें इन्हीं राह में, 
क्या पाया क्या खोया सब छोड़कर, 
दिल कहता है चल दूर कहीं चलें। 

अंधेरे से बच के, उजाले की करे खोज, 
उड़ने दे मन को बिन माझा बिन डोर,
 देखें आसमान की हद क्या है, बस, 
 दिल कहता है चल दूर कहीं चलें। 
 
 अपनी ख्वाहिशों को करें आजाद, 
 मन को बनाएं गगन का बाज,
 जो है सब छोड़ यही आज, 
 दिल कहता है चल दूर कहीं चलें।
 
                           किरन तिवारी

©Kiran Tiwari

#Twowords

17 Love

हर मुसीबत के आगे ये पहाड़ से खड़े है पिता शब्द भले छोटा है, पर इसके माइने बहुत बड़े है। अपनी हर छोटी बड़ी जरूरत का त्याग कर दिया। पर अपने बच्चों के भविष्य के लिए हमेशा खड़े है। हर सुख-दुःख, चिंता-फिक्र दिल में दफ़न कर लिया बच्चों की हर जरूरत पूरा करने की ज़िद में लगे हैं। अपना कोई भी काम करने से पहले बच्चों की सोचते हैं। ये वो वृक्ष है, जिनकी छाँव में बच्चे निश्चिन्त होकर पड़े हैं। माॅ अवनी है तो पिता भी व्योम के समान हैं माॅ नींव है और पिता घर की छत के समान है। घर की फर्श थोड़ी टूट भी जाए तो क्या हुआ पर बिना छत के घर का क्या अभिमान है??? पिता है तो बच्चों का मन उपवन - उद्यान है माॅ भी करती हैं जरूरते पूरी, पर पिता हैं तो बच्चों की जरूरत ये पूरा आसमान है। हर मुसीबत के आगे ये पहाड़ से खड़े है, पिता शब्द भले छोटा है पर इसके माइने बड़े बहुत बड़े है। ©Kiran Tiwari

#FathersDay2021  हर मुसीबत के आगे ये पहाड़ से खड़े है
पिता  शब्द भले छोटा है, पर इसके माइने बहुत बड़े है।

अपनी हर छोटी बड़ी जरूरत का त्याग कर दिया। 
पर अपने  बच्चों के भविष्य के लिए हमेशा खड़े है।

हर सुख-दुःख, चिंता-फिक्र दिल में दफ़न कर लिया 
बच्चों की हर जरूरत पूरा करने की ज़िद में लगे हैं।

अपना कोई भी काम करने से पहले बच्चों की सोचते हैं।
ये वो वृक्ष है, जिनकी छाँव में बच्चे निश्चिन्त होकर पड़े हैं।

माॅ अवनी  है  तो  पिता भी व्योम के  समान हैं 
माॅ नींव है  और पिता घर की छत  के  समान है। 

घर की फर्श थोड़ी टूट भी जाए तो क्या हुआ 
पर बिना छत के घर का क्या अभिमान है???

पिता है तो बच्चों का मन उपवन - उद्यान है 
माॅ भी करती हैं जरूरते पूरी, 
पर पिता हैं तो बच्चों की जरूरत ये पूरा आसमान है।

हर मुसीबत के आगे ये पहाड़ से खड़े है,
पिता शब्द भले छोटा है पर इसके माइने बड़े बहुत बड़े है।

©Kiran Tiwari
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