चलते-चलते जिंदगी के सफर में,
दिल कहता है चल दूर कहीं चले,
अपनी पंखो को दे उडान नई ,
दिल कहता है चल दूर कहीं चले।
बिन मंजिल के सफर में थक के,
सिर्फ चले जा रहे हैं, जिए जा रहे हैं,
अब इस सफर में थक कर,
दिल कहता है चल दूर कहीं चलें।
देखें नई दुनिया छुएं आसमान को,
छोड़कर अनकही बंदिशें इन्हीं राह में,
क्या पाया क्या खोया सब छोड़कर,
दिल कहता है चल दूर कहीं चलें।
अंधेरे से बच के, उजाले की करे खोज,
उड़ने दे मन को बिन माझा बिन डोर,
देखें आसमान की हद क्या है, बस,
दिल कहता है चल दूर कहीं चलें।
अपनी ख्वाहिशों को करें आजाद,
मन को बनाएं गगन का बाज,
जो है सब छोड़ यही आज,
दिल कहता है चल दूर कहीं चलें।
किरन तिवारी
©Kiran Tiwari
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