हर स्वाधीनता सेनानी का एक ही नारा था
अंग्रेजो से देश को आजाद कराना था
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खून का कतरा -कतरा बहाँ कर भी।
भारत माँ को अंग्रेजो से मुक्त कराना था
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मुश्किलो का आना -जाना था,
पर अपने मातृ भूमि के खातिर,
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हर मुश्किलो का डट कर सामना करना था
रास्ते चाहे भले अलग -अलग था
पर मंजिल सबका एक ही था
स्वाधीन भारत का सपना लिए
जहाँ तक हो सके अपना अबदान देना था
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आजादी के संग्राम में कितनो ने प्राण झोंके है
कितनो को सूली पर चराये गए है
कितनो कोरे मारे गए है।
जब इनसे भी बात ना बनी तो,
जंजीरो से जकड़े गए है
महीनों तक भूखे प्यासे तरपाये गए है।
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जुल्म चाहे कितने भी किये है
अनंतता सब बिफल गए है
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जुल्म का सिलसिला अब ख़त्म होना था
क्योकि 15 अगस्त 1947 को
देश में एक नया सबेरा आना था
देश पराधीनता की जंजीरो से छूट कर
स्वाधीन हो चूका था
बरसो से किया जाने वाला प्ररिश्रम
अब सफल को चूका था हर तरफ
आजादी की गूंज सुनाई दे रहा था
✍️pompy
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