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Thursday, 3 October | 09:03 pm
7 Bookings
Thursday, 3 October | 06:50 pm
8 Bookings
White उस कहानी का अंत ऐसा रहा आंसुओं का समंदर सुख गया जमाना हमें पागल कहता रहा हमसे अपना घर तक छूट गया सुर्ख होठों से धुआं यूं उठता रहा सच्ची मोहब्बत का भ्रम टूट गया मयखाने में दिल ऐसा लगा रहा जनाजा वहां शराब का उठ गया मैं बेवफा के बदन पर रकीब के इश्क को पढ़ता रहा उसके दुपट्टे में बोसे का काटा आहिस्ते से छुप गया ©शिवम् सिंह भूमि
9 Love
Tuesday, 1 October | 04:13 pm
145 Bookings
Monday, 30 September | 11:03 am
68 Bookings
White मेरी मां की गालियों पर ताली बजा रहे हो हमने सुना था आप खानदानी इज्जतदार हो आप दोनो तरफ जो आग बेवजह लगा रहे हो अजी आप तो साक्षात नारद मुनि के अवतार हो और ये मंडली जो बैठा रहे हो मेरे खिलाफ तुम कभी सुना है तुमने की कुत्तों से शेर का शिकार हो पीठ पीछे हमारी बातें भरी महफिल में कर रहे हो अजी आप क्या अपनी गुनाहों के कम जिम्मेदार हो महफिल में अधूरे ज्ञान से चेहरे को चमकाने वालों हमसे बात वही करो जो सबके लिए असरदार हो तुम्हारे मुख की गालियां तुम्हारी मां ने सुनी होती शायद उन्हें भी भरे बाजार में अपने बलात्कार का इंतजार हो बंद कर देते हैं यहां आईडी किसी के कहने पर नोजोटो वाले अजी इज्जतदार समझे थे पर आप तो पूरे मक्कार हो और जो चांटे पड़े हैं मेरी अस्मत पर इन दिनों अजी भरी महफिल में उसका इलाज बार बार हो जो खड़े थे मेरे साथ जमाने के खिलाफ अजी उनके सम्मान में तालियों की गूंज जोरदार हो ©शिवम् सिंह भूमि
22 Love
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