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shayar veer ras kavi sarfira barbaad ladka
दुख बहुत है दोस्त कम है इस लिए बस आँख़ नम है ©Aman Mishra Anant
Aman Mishra Anant
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मेरे सवालो का तू हल भी थी वो तू आज भी थी कल भी थी अधुरी दासताने गाने वालो एक कहानी मुकम्मल भी थी मुझसे प्यार तक तो ठीक था वो मेरे पिच्छे पागल भी थी उसके पैर भी सुने थे और मेरे हाथ मे पायल भी थी रोज़ मिलते नए गमो के बिच एक टिस मुसलसल भी थी जिस पल तेरी ज़रुरत न थी मुझे ज़रुरत तेरी उस पल भी थी वो रायगां हू के जिसे दुनिया की हर एक शय कभी हासील भी थी ©Aman Mishra Anant
13 Love
अंधेरो से बात कर रहा था मै दिन को रात कर रहा था ऐसा कोई दुश्मन के साथ ना करे जो मै अपने साथ कर रहा था - अमन मिश्रा 'अनंत'
12 Love
गम मे गम को गम का भी मज़ा आए हम हस लेते है ताकी रोना ना आए - अमन मिश्रा 'अनंत'
15 Love
ध्वनी जो बासुरी बजा रही थी गोपीयो के दिल मे जा रही थी मै कान्हा को पढने निकला जब बस राधा समझ मे आ रही थी - अमन मिश्रा 'अनंत'
17 Love
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