Aditi Chouhan

Aditi Chouhan

novel writing , create any drama based story ,and love poetry.

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White सच बोलने वाला अक्सर रिश्तेदारों को चुभता है परिवार और समाज में भी ये पसंद नहीं किये जाते लेकिन वे ईश्वर को बहुत पसंद आते हैं क्योंकि किसी के न चाहते हुए भी वे सबके निशाने पर और नजरों में रहते हैं। ©Aditi Chouhan

#Motivational #love_shayari  White सच बोलने वाला अक्सर रिश्तेदारों को चुभता है
परिवार और समाज में भी ये पसंद नहीं किये जाते 
लेकिन वे ईश्वर को बहुत पसंद आते हैं क्योंकि किसी के न चाहते हुए भी वे सबके निशाने पर और नजरों में रहते हैं।

©Aditi Chouhan

#love_shayari

11 Love

White ऊं श्री गणेशाय नम: सप्तमी युक्त अष्टमी *जीतिया व्रत करनेवाले मिथिला वासीयो की माताओं ,बहनों को और भाभीयों सहित देवरानी ,जेठानी सभी प्रकार की देवीयों को मैं अपनी मंगलकामनाएं भेज रही हूं।उन्हें शुद्ध रूप से क्षत्रिय राजकुमार जीमुतवाहन का और साक्षात श्री कृष्ण के पूण्यों से अवतारित जीवित्पुत्रिका व्रत का पूर्ण बल फल,और आशीर्वाद मिले। ।।जय जीमुतवाहन।। ©Aditi Chouhan

#GoodMorning  White ऊं श्री गणेशाय नम:
सप्तमी युक्त अष्टमी *जीतिया व्रत करनेवाले मिथिला वासीयो की माताओं ,बहनों को और भाभीयों सहित देवरानी ,जेठानी सभी प्रकार की देवीयों को मैं अपनी मंगलकामनाएं भेज रही हूं।उन्हें शुद्ध रूप से क्षत्रिय राजकुमार जीमुतवाहन का और साक्षात श्री कृष्ण के पूण्यों से अवतारित जीवित्पुत्रिका  व्रत का पूर्ण बल फल,और आशीर्वाद मिले।
।।जय जीमुतवाहन।।

©Aditi Chouhan

#GoodMorning

16 Love

White मनुष्य जो हिन्दू धर्म मानता है जिसका जन्म ही ऐसे परीवेश में हुआ है जहां तुलसी का पौधा होता है ,और भगवान उसके प्रारब्ध के दुखों का निवारण भी भेज देता है ,मनुष्य कर्मोंजनित चक्र में चौरासी लाख योनियों तक दुख भोगता है उसे पितृदोष भी लगते हैं तमाम बाधाएं ,संतान जनित कष्ट होते हैं तो वो मंदिरों में भटकता है ,पूजा पाठ सब करता है लेकिन फिर भी उसके कष्ट और पीड़ा दूर नहीं होने का कारण है घर के मुखिया का पथ भ्रष्ट होना ,पितर पक्ष जैसे पावन अवसर ईश्वर ने दिया है तुलसी जैसे पवित्र निधि मिला है जिसके फलित त्वरित फल को जानने के बाद भी मांस ,मदिरा में आसक्त पितृदोष के भागी बनते हैं और पितर रूष्ट होकर घर में सभी को सजा देते हैं क्योंकि क्षमा तो आत्मा तभी करती है जब परिजनों की आत्मा शुद्ध हो शुद्ध मन से तुलसी में अर्पित जल तर्पण अपने मृतकों को स्मरण और भूलों की क्षमा मांगने के बाद सच्चे मन से स्वीकार करते हैं, पितृपक्ष में शराब पीनेवाला पुरूष अपने समस्त परिवार को दुख और पीड़ा के दलदल में धकेलता है। ऐसा पुरूष सिर्फ स्वयं से प्रेम करता है जो मदिरा के वशीभूत होता है ,न उसे पितृजन की परवाह है न बच्चे की और न ही पत्नि के पीड़ा का अनुमान ,ये मानसिक संत्रास से निकलने वाली ऊर्जा उसके घर को जला डालती है। ©Aditi Chouhan

#Motivational #sad_quotes  White मनुष्य जो हिन्दू धर्म मानता है जिसका जन्म ही ऐसे परीवेश में हुआ है जहां तुलसी का पौधा होता है ,और भगवान उसके प्रारब्ध के दुखों का निवारण भी भेज देता है ,मनुष्य कर्मोंजनित चक्र में चौरासी लाख योनियों तक दुख भोगता है उसे पितृदोष भी लगते हैं तमाम बाधाएं ,संतान जनित कष्ट होते हैं तो वो मंदिरों में भटकता है ,पूजा पाठ सब करता  है लेकिन फिर भी उसके कष्ट और पीड़ा दूर नहीं होने का कारण है घर के मुखिया का पथ भ्रष्ट होना ,पितर पक्ष जैसे पावन अवसर ईश्वर ने दिया है तुलसी जैसे पवित्र निधि मिला है जिसके फलित त्वरित फल को जानने के बाद भी मांस ,मदिरा में आसक्त पितृदोष के भागी बनते हैं और पितर रूष्ट होकर घर में सभी को सजा देते हैं क्योंकि क्षमा तो आत्मा तभी करती है जब परिजनों की आत्मा शुद्ध हो शुद्ध मन से तुलसी में अर्पित जल तर्पण अपने मृतकों को स्मरण और भूलों की क्षमा मांगने के बाद सच्चे मन से स्वीकार करते हैं,
पितृपक्ष में शराब पीनेवाला पुरूष अपने समस्त परिवार को दुख और पीड़ा के दलदल में धकेलता है।
ऐसा पुरूष सिर्फ स्वयं से प्रेम करता है जो मदिरा के वशीभूत होता है ,न उसे पितृजन की परवाह है न बच्चे की और न ही पत्नि के पीड़ा का अनुमान ,ये मानसिक संत्रास से निकलने वाली ऊर्जा उसके घर को जला डालती है।

©Aditi Chouhan

#sad_quotes

11 Love

White आधी कौड़ी के लोगों की बातों से आधी बूंद भी प्रभावित मत होना ये निगेटिव हैं निगेटिव थे और निगेटिव ही रहेंगें अपने डायनामिक होने का जैसे प्रमाण दिया है इन आधी कौड़ी के बातों को अनसुना करके वैसे ही जिंदगी के इन बाधाओं को दूर करके अपने मुकाम हासिल करना ही जिंदगी है ये तो बैठे ही हैं बेरोजगार तूतिये दे दिलाकर भी ये बोलेगें तुम्हारा सबकुछ ले लिवाकर भी बोलेंगें आधी कौड़ी के लोगों की यही पहचान होती है तू निकल और पूरा बनने का प्रयास कर कौई गालियां दे तो खामोशियों से मुस्कुराकर जवाब दे और निकल। ©Aditi Chouhan

#Motivational #Sad_Status  White आधी कौड़ी के लोगों की बातों से 
आधी बूंद भी प्रभावित मत होना
ये निगेटिव हैं निगेटिव थे और निगेटिव ही रहेंगें
अपने डायनामिक होने का जैसे प्रमाण दिया है 
इन आधी कौड़ी के बातों को 
अनसुना करके वैसे ही जिंदगी के इन बाधाओं को दूर करके  अपने मुकाम हासिल करना ही जिंदगी है
ये तो बैठे ही हैं बेरोजगार तूतिये 
दे दिलाकर भी ये बोलेगें 
तुम्हारा सबकुछ ले लिवाकर भी बोलेंगें 
आधी कौड़ी के लोगों की यही पहचान होती है 
तू निकल और पूरा बनने का प्रयास कर 
कौई गालियां दे  तो खामोशियों से मुस्कुराकर जवाब दे 
और निकल।

©Aditi Chouhan

#Sad_Status

15 Love

किसी को उजड़ते हुए देखा उजड़कर प्रेम में ! अपनी जरूरतों से प्यार करनेवाले को मुस्कुराते हुए देखा। अजब है दुनिया वास्तविकता की सेज पर प्रेम को गिरवी रखते देखा। ©Aditi Chouhan

#SAD  किसी को उजड़ते हुए देखा 
उजड़कर प्रेम में !
अपनी जरूरतों से प्यार करनेवाले 
को मुस्कुराते हुए देखा।
अजब है दुनिया 
वास्तविकता की सेज पर प्रेम को गिरवी रखते देखा।

©Aditi Chouhan

किसी को उजड़ते हुए देखा उजड़कर प्रेम में ! अपनी जरूरतों से प्यार करनेवाले को मुस्कुराते हुए देखा। अजब है दुनिया वास्तविकता की सेज पर प्रेम को गिरवी रखते देखा। ©Aditi Chouhan

15 Love

White सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक रचना है जो गालियों से भरा है बड़े ही खूबसूरत तरीके से एक रचना का नाम अग्निखोर है जरूर पढ़ें, 'साला' ये हिन्दी भी कमाल की सहोदर भाषा जुबान है जबतक हिन्दी में गरीयाओ नहीं तबतक सुकुन ही नहीं मिलता अंग्रेजी में गाली भी कोई उपाधि लगती है लेकिन हिन्दी में दी हुई गाली भी दवाई लगती है देकर देखो दुश्मन को कलेजे तक ठंडक मिलेगी , लेकिन सामने में देनू की भूल मत करना वरना कुटाई भी हिन्दी में ऐसी होगी कि सारे मोहल्ले में जग हंसाई होगी। जय हीन्दी जय बिहार,जय भारत । पता चला कि हमारी हिन्दी हमारे जड़ से है फणीश्वरनाथ रेणु और दिनकर भी हमारे बिहार की धरती से है इसपर बड़ा घमंड बा। ©Aditi Chouhan

#Motivational #hindi_diwas  White सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक रचना है जो गालियों से भरा है बड़े ही खूबसूरत तरीके से 
एक रचना का नाम अग्निखोर है जरूर पढ़ें,
'साला' ये हिन्दी भी कमाल की  सहोदर भाषा जुबान है जबतक हिन्दी में गरीयाओ नहीं तबतक सुकुन ही नहीं मिलता अंग्रेजी में गाली भी कोई उपाधि लगती है लेकिन हिन्दी में दी हुई गाली भी दवाई लगती है देकर देखो दुश्मन को कलेजे तक ठंडक मिलेगी , लेकिन सामने में देनू की भूल मत करना वरना कुटाई भी हिन्दी में ऐसी होगी कि सारे मोहल्ले में जग हंसाई होगी।
जय हीन्दी जय बिहार,जय भारत ।
पता चला कि हमारी हिन्दी हमारे जड़ से है फणीश्वरनाथ रेणु और दिनकर भी हमारे बिहार की धरती से है
 इसपर 
बड़ा घमंड बा।

©Aditi Chouhan

#hindi_diwas

13 Love

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