मन की आखों से देखों क्योंकि बुद्धि तर्क पर विश्वास करती हैं,
सामर्थ्य बल पर विश्वास करता हैं,
पर मन आशा पर विश्वास करता हैं।
जब अंधेरा डराने लगता हैंं
डरावनी आवाजें सुनाने लगता है,
मंन दूर से आती आरती की
आवाज़ पर विश्वास करता हैं।
जब दुनिया पीछे खींचने लगती हैं,
शंकाऐं हिम्मत तोड़ने लगती हैं,
मन अपने असीमित क्षमताओं पर,
मज़बूत इरादों पर विश्वास करता हैं।
मां का मन अपने संस्कारों पर,
पिता का मन अपने त्याग पर,
और गुरु का मन विघादान पर विश्वास करता हैं।
मन को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती,
संदेह करना उसकी आदत नहीं होती,
मन की निष्छल आंखों से संसार को देखो,
क्योंकि मन सिर्फ अपने विश्वास पर विश्वास करता हैं।।
©Astha Tiwari
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