कोरोना की इस लहर ने सब कुछ दिखा दिया,
हंसते खेलते चेहरों को पल भर में रुला दिया,
असमय मृत्यु का तांडव हर जगह मचा दिया,
रुकती आती सांसों का भयावह मंजर बना दिया,
आपसी मेल मिलाप को ही मौत का खंजर बना दिया,
अंतिम विदाई का हक भी कितनो का मार लिया,
शमशान की अग्नि ने बुझने तक का ना नाम लिया,
घरों के चिरागो को तूने पल भर में बुझा दिया,
पत्थर सा जिगर रखने वालो को भी तुमने रुला दिया।
©Rohit Chauhan
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